Rajasthani Kota Doria: दिन रात एक कर 20 दिन में तैयार होती कोटा डोरिया की एक साड़ी, जानें क्यों हैं बेशकीमती?

Rajasthani Kota Doria: कोटा राज परिवार ने इस अनोखी कला को जीवीत रखने में बड़ा योगदान दिया है. वहीं से इस साड़ी की पहचान मिली है.

मनुश्री बाजपेयी Mon, 30 Sep 2024-2:59 pm,
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कोटा की पहचान-कोटा डोरिया

कोटा में बनने वाली कोटा डोरिया साड़ियों ने देश ही नहीं विश्व में अपनी पहचान बनाई है. कोटा डोरिया की इन साड़ियों ने कोटा के नाम में चार चांद लगाए हैं.  ये साड़ियां बेहद खास होती हैं और काफी महंगी भी होती हैं.

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यहां तैयार होती हैं साड़ियां

कोटा से 15 किलोमीटर दूर कैथून में इन बेहद खास और सुंदर साड़ियों हाथों से दिनरात मेहनत करके तैयार किया जाता हैं. इन बुनकरों के हुनर के विदेशी भी कायल हैं. कोटा डोरिया साड़ी का इतिहास करीब 100 सालों से ज्यादा पुराना है.

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कोटा परिवार ने बचाई विरासत

कोटा के राज परिवार ने इस कला को संरक्षण दिया था. वहीं से इन साड़ियों को महत्व मिला. मैसूर आए कुछ परिवारों ने कैथून में कोटा डोरिया साड़ी बनाना शुरू किया था  और वह वक्त के आज यहां करोड़ों की साड़ियां तैयार की जाती हैं.

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मशीन का प्रयोग नहीं होता है

कोटा डोरिया साड़ी अपने आप में बहुत खास होती हैं.  इनकी एक और खास- अहम बात यह है कि इसे तैयार करने में किसी तरह से मशीन का प्रयोग नहीं किया जाता है. यह पूरी तरह से हाथों से ही तैयार की जाती हैं.

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80 करोड़ में बिकती हैं साड़ियां

कोटा सम्भाग में लगभग प्रतिदिन 400 से 500 साड़ियां तैयार की जाती हैं. कोटा डोरिया साड़ी का सालाना करोबार 70 से 80 करोड़ रुपए होता है. ये साड़ियां दक्षिण भारत सहित अन्य बड़े शहरों में काफी पसंद और प्रचलन में हैं.

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इसलिए होती हैं खास

कोटा डोरिया की साड़ी बेहद हल्की होती हैं. इसे बनाने में असली रेशम के साथ सोने और चांदी के तार का प्रयोग किया जाता है. सादा साड़ी से डिज़ाइनर साड़ी बनाने में अलग अलग टाइम लगता है. सादा साड़ी की कीमत 1500 रुपए, तो डिजाइनर साड़ी की कीमत 15 से 40 हजार से शुरू होती है.

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