Rajasthan Politics : मोदी कैबिनेट में हुए बड़े फेरबदल के तहत अर्जुन राम मेघवाल को किरेन रिजिजू की जगह उनके मौजूदा विभागों के अलावा कानून और न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में स्वतंत्र प्रभार दे दिया गया है.


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नए केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल राजस्थान में बीजेपी का बड़ा दलित चेहरा है. अक्सर साइकिल की सवारी करते मेघवाल अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं. 


राजस्थान में विधानसभा चुनाव में कुछ ही वक्त बचा है. ऐसे में मोदी कैबिनेट में अर्जुन राम मेघवाल को मिली बड़ी जिम्मेदारी कई मायने में खास हो जाती हैं.
राजस्थान की बीकानेर सीट से तीसरी बार जीतकर 17वी लोकसभा में पहुंचे मेघवाल फिलहाल संस्कृति एंव संसदीय कार्य मंत्रालय की जिम्मेदारी निभा रहे हैं.


हमेशा पगड़ी में दिखे अर्जुन राम मेघवाल प्रशासनिक सेवा से VRS लेकर चुनावी मैदान में 2009 में कूदे और बीकानेर से सांसद बनें. फिर 2014 में फिर जीत हासिल की. और फिर 2019 में बीकानेर में जीत की हैड ट्रिक के साथ फिर से लोकसभा में पहुंचे और सर्वश्रेष्ठ सांसद का तमगा हासिल कर चुके हैं.


मेघवाल बुनकर परिवार से आते हैं. जो पिता के साथ बुनकर के रूप में काम कर चुके हैं. विषम हालात में अपनी पढ़ाई को जारी रखते हुए. अर्जुनराम मेघवाल ने अपने दूसरी कोशिश में राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा पास कर ली थी.


मेघवाल को बड़ी जिम्मेदारी मिलने के पीछे की वजह राजस्थान में चुनाव भी माने जा सकते हैं. बीजेपी के बड़े दलित चेहरे के रूप में मेघवाल की अपनी पहचान है. साथ उनके पास कानूनी मामलों की समझ भी हैं.


राजस्थान विधानसभा में सीटों की गणित की बात करें तो 200 में से 34 सीटें एससी और 25 सीटें  एसटी के लिए आरक्षित हैं. प्रदेश में दलित वोटर्स बीजेपी का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है.


पिछले तीन विधानसभा चुनावों  के आंकड़े बताते हैं कि जिस दल ने एससी और एसटी सीटों पर कब्जा किया सरकार उसी की बनी. ऐसे में मेघवाल को बड़ी जिम्मेदारी मिलना इन वोटर्स को अपनी तरफ रखने की कोशिश हो सकती हैं.


वहीं  रिजिजू के कार्यकाल में जजों की नियुक्ति के मुद्दे को लेकर उनका न्यायपालिका के साथ कई बार टकराव हुआ था. रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति वाले कोलीजियम सिस्टम पर तीखे हमले किए थे और इसे अपारदर्शी सिस्टम बताया था.


एक थ्योरी ये भी है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी अपनी रणनीति बदल रही है. बीजेपी के विशेषण में ये बात सामने आई थी कि कर्नाटक में दलित, पिछड़े और लिंगायत वोट बैंक को कांग्रेस ने अपनी तरफ करने में सफलता पायी और जीती. इसलिए ये ट्रिक राजस्थान में अपनाई जा सकती है. जहां फोकस में दलित वोटर्स होंगे.