सचिन पायलट के लिए अब टोंक में भी बढ़ी ये मुश्किल, जीतना नहीं होगा आसान
Rajasthan Politics : राजस्थान विधानसभा चुनाव जैसे जैसे करीब आ रहे है. सचिन पायलट के भविष्य को लेकर भी उतनी ही चर्चाएं है. अशोक गहलोत के साथ लंबे समय से अदावत चल रही है. अब टोंक विधानसभा सीट पर उनकी विधायकी में वापसी भी खतरे में पड़ती नजर आ रही है
Rajasthan : सचिन पायलट के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. 2018 में राजस्थान में सरकार बनने के बाद से उनकी अशोक गहलोत के साथ अदावत चल रही है. लेकिन किसी भी सियासी दांव में वो जीत नहीं पाए है. 2020 की कथित बगावत हो या 25 सितंबर के प्रकरण में बढ़त हासिल करने की कोशिश. वसुंधरा राजे कार्यकाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा अनशन करना हो. किसी भी मामले में सचिन पायलट को निर्णायक कामयाबी नहीं मिली. अब उनके निर्वाचन क्षेत्र टोंक में भी उनके लिए मुश्किलें बढ़ रही है.
टोंक से MLA है सचिन पायलट
सचिन पायलट ने 2018 में टोंक से चुनाव लड़ा था. टोंक विधानसभा सीट मुस्लिम बहुल मानी जाती है. यहां बीजेपी ने भी उनके खिलाफ यूनुस खान को मैदान में उतारा था. इधर अब AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी राजस्थान के दौरे बढ़ा रहे है. हाल ही में उन्होनें टोंक से पार्टी उम्मीदवार खड़े करने के संकेत भी दिए थे. ऐसे में अगर मुस्लिम बहुल टोंक सीट पर ओवैसी प्रत्याशी खड़ा करते है तो पायलट के लिए मुश्किलें बढ़ सकती है.
क्या है टोंक विधानसभा का गणित
टोंक विधानसभा में कुल वोटर 2 लाख के ऊपर है. इसमें करीब 60 हजार मुस्लिम वोटर है. इसके बाद दूसरे नंबर पर गुर्जर मतदाता है. गुर्जर करीब 30 हजार है. ऐसे में अगर ओवैसी अपना प्रत्याशी उतारते है तो सचिन पायलट के लिए मुश्किलें हो सकती है. औवेसी ने तो पायलट को हाल में नसीहत भी दी थी कि वो गुर्जर बहुल इलाके में जाकर चुनाव लड़े.
2018 के चुनाव परिणाम
पिछले विधानसभा चुनाव में टोंक सीट पर बीजेपी की तरफ से यूनुस खान मैदान में थे. यूनुस खान एक मात्र वो शख्स थे. जिस मुस्लिम को बीजेपी ने टिकट दिया. पायलट के सामने करीब 54 हजार वोटों से वो हार गए थे. यूनुस खान वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते है. राजे के वीटो से ही उनको टिकट मिल पाया था.