Congress Politics : देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में ओल्ड गार्ड वर्सेज यंग गार्ड की लड़ाई यूं तो दशकों पुरानी है, लेकिन पिछले कुछ वक्त में हर बार ओल्ड गार्ड ही यंग गार्ड पर भारी पड़ते दिखाई दिए हैं, इसकी बानगी हाल ही में एक बार फिर कर्नाटक में देखने को मिला. जहां कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई, लेकिन एक बार फिर पेंच राजस्थान की तरह अटक गया. जहां अंत में ओल्ड गार्ड यंग गार्ड पर भारी पड़े.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दरअसल ओल्ड वर्सेज यंग गार्ड की जंग राजस्थान और मध्यप्रदेश से होते हुए अब कर्नाटक पहुंच गई है, हालांकि इसको सुलझाने के लिए कांग्रेस ने 5 साल पुराण राजस्थान वाला ही फार्मूला लागू किया. चलिए जानते हैं कि आखिर अब तक इस फॉर्मूले के क्या परिणाम रहे हैं. 


राजस्थान - सचिन पायलट


राजस्थान में साल 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हांसिल की, लेकिन पेंच मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जा अटका. लम्बी वार्ता और कई बैठकों के दौर के बाद यूनाइटेड कलर ऑफ राजस्थान का फार्मूला निकाल कर लाया गया. जिसमें अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री और सचिन पायलट को डिप्टी सीएम बनाया गया. हालांकि पिछले साढ़े चार में राजस्थान कांग्रेस की सियासत में खूब खटपट चली. सचिन पायलट ने तो पार्टी से बगावत कर सरकार को संकट में डाल दिया, लेकिन हर बार भारी अशोक गहलोत ही पड़े. अब सचिन पायलट ने अपनी सरकार और केंद्रीय नेतृत्व को 15 दिन का अल्टीमेटम दे दिया है.


मध्यप्रदेश - ज्योतिरादित्य सिंधिया


मध्यप्रदेश में कांग्रेस को इसी जंग की वजह से सरकार गवानी पड़ गई. 2018 के विधानसभा चुनाव में जनता ने जनादेश कांग्रेस को दिया, जिसके बाद चली सियासी खींचतान में मुख्यमंत्री की कुर्सी कमलनाथ के पास आई, जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया कुर्सी के बेहद करीब पहुंचकर रह गए. साल 2020 में सिंधिया ने बगावत कर दी और कांग्रेस सरकार गिरा दी. इसके बाद भी सीढिया मुख्यमंत्री तो नहीं बन पाए, लेकिन भाजपा में शामिल होकर केंद्रीय मंत्री बन गए.


कर्नाटक- डीके शिवकुमार


कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिला. एक सप्ताह के माथापच्ची के बाद आखिरकार कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे राजस्थान चुनाव के 2018 वाला ही फार्मूला निकल कर लाए, जिसमें यंग गार्ड यानि डीके शिवकुमार को प्रदेश अध्यक्ष के साथ साथ उपमुख्यमंत्री बनाया गया है, जबकि ओल्ड गार्ड यानि सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाना तय किया गया है. 20 मई को कर्नाटक में कांग्रेस की नई सरकार शपथ ले लेगी.


यह भी पढ़ें-


आम खाने के बाद गलती से भी न खाएं ये चीजें, आपको अस्पताल पहुंचा देंगी!


सचिन पायलट के करीबी सुभाष महरिया बीजेपी में शामिल, क्या ये बदलाव की शुरुआत है ?