Jaipur : राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर लिखा कि, एक तरफ केन्द्र सरकार चौधरी चरण सिंह और एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न देती है. वहीं, दूसरी तरफ इन्हीं दोनों को आदर्श मानकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून बनाने की मांग कर रहे किसानों पर आसूं गैस और वॉटर कैनन चला रही है.


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यह असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है. उन्होंने लिखा कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब खुद MSP कानून की वकालत करते थे, पर अब वो MSP की मांग करने वाले किसानों को शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन भी नहीं करने देना चाहते. 



यह किसानों के मुद्दों पर एनडीए सरकार का दोहरा चरित्र दिखाता है. कांग्रेस पूरी तरह किसानों के पक्ष में खड़ी है. आज कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने घोषणा की है, कि केन्द्र में सरकार बनने पर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक MSP की गारंटी देंगे. यह कदम किसान परिवारों की समृद्धि के लिए बेहद जरूरी है.


डोटासरा ने भी उठाए सवाल 


वहीं, किसान आंदोलन पर पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा ने भी ट्वीट करके कहा, कि चौधरी चरण सिंह अगर जिंदा होते तो किसान से क्रूरता देखकर, भारत रत्न लौटा देते. ये शर्मनाक है. पूंजीपतियों के लिए रेड कार्पेट बिछाने वाली भाजपा सरकार किसानों पर आंसू गैस के गोले और लाठियां बरसा रही है. डोटासरा ने लिखा, कि प्रधानमंत्री जी, आप किस मुंह से किसान हितों की बात करते हैं?


विशेष निगरानी रखने के निर्देश 


कोटपुतली बहरोड़ जिले के शाहजहांपुर से लगती हरियाणा की सीमा लगे क्षेत्र में दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के मद्देनजर राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों की हलचल पर विशेष निगरानी रख सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद रखने के निर्देश के साथ जयपुर रेंज आईजी उमेश दत्ता सहित कोटपूतली बहरोड जिला पुलिस अधीक्षक रंजीता शर्मा पहुंची बॉर्डर पर .


 रेंज आईजी ने किया दौरा


जयपुर रेंज आईजी उमेश दत्ता ने बहरोड़ कोटपुतली एसपी अर्चना शर्मा ने नीमराना डीएसपी अमीर हसन, शाहजहांपुर थानाधिकारी रामकिशोर शर्मा सहित पुलिस जाब्ते के साथ बॉर्डर एरिया का अवलोकन किया. साथ ही बॉर्डर एरिया के लिए जेसीबी, क्रेन और एम्बुलेंस सहित तात्कालीन सेवाओ का भी जायजा लेते हुए तैनाती को लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दिए.


सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कड़ी निगरानी


गौरतलब है, कि विगत वर्ष किसान आंदोलन के समय हरियाणा के खेड़ा और शाहजहांपुर बॉर्डर पर किसानों द्वारा हाईवे पर ही महापड़ाव डाल कर किसान आंदोलन की मिसाल बना दीया था. उस समय राज्य में कांग्रेस सरकार होने के चलते किसान आंदोलन को स्थानीय स्तर पर समर्थन भी मिला था. बॉर्डर पर किसानों का महापड़ाव रोकने को लेकर ही स्थानीय प्रशासन पूर्व से ही सजग रहते हुए सुरक्षा व्यवस्था सहित अन्य पहलुओं पर भी निगरानी रखे हुए है.