Rajasthan Politics : राजस्थान में लोकसभा चुनाव 2024 के बाद, अब 5 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. जिसमें खींवसर उपचुनाव को लेकर हनुमान बेनीवाल का दिया बयान चर्चा का विषय है. बेनीवाल ने कहा कि अगर कांग्रेस, लोकसभा चुनाव 2024 में RLP से गठबंधन नहीं करती, तो फिर कांग्रेस का खाता भी नहीं खुलता. 


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हनुमान बेनीवाल ने कहा कि अभी RLP इंडिया अलायंस में हैं. जब बेनीवाल से खींवसर विधानसभा उपचुनाव में ज्योति मिर्धा को बीजेपी की तरफ से चुनावी मैदान में उतारे जाने के बारे में पूछा गया तो बेनीवाल का कहना था कि चुनाव चाहें ज्योति मिर्धा लड़े या फिर कोई और लेकिन खींवसर सीट तो RLP की ही होगी. ये बयान ये साफ करता है, कि RLP इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतारेगी. 



सियासी गणित को समझें तो इस सीट पर  बीजेपी की तरफ से ज्योति मिर्धा या फिर रेवत राम डांगा को चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है. तो वहीं कांग्रेस RLP से गठबंधन के तहत नारायण बेनीवाल और कनिका बेनीवाल को टिकट मिल सकता है. लेकिन अगर RLP के साथ गठबंधन नहीं होता है, तो कांग्रेस किसे टिकट देगी ये साफ नहीं है. अब 6 महीने के अंदर चुनाव होने है. 



अपनी शर्तों पर राजनीति करने वाले बेनीवाल अपने बयान से ये साफ कर चुके हैं, खींवसर में RLP का भी उम्मीदवार होगा. पिछले दो बार से नागौर सीट जीत रहे हनुमान बेनीवाल अब जाटों से सर्वमान्य नेता बनने की तरफ है. यहां ये समझना जरूरी है कि राजस्थान की राजनीति में जाट समुदाय का अपना प्रभाव है.



सिर्फ नागौर ही नहीं बल्कि करीब 50 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर जीत हार का फैसला जाट वोट करते हैं. जाट नेता हनुमान बेनीवाल पहले ही मिर्धा परिवार के किले को दो बार ध्वस्त कर चुके है. ये वो ही मिर्धा परिवार था कि जब आपातकाल के बाद कांग्रेस का उत्तर भारत से सफाया हो गया था, तब मारवाड़ की 42 सीटों में कांग्रेस ने 26 सीटों को अपने नाम किया था. 


लोकसभा चुनाव 2024 के बाद बहुत कुछ बदल चुका है. अगर आरएलपी के गठबंधन को ना देखें तो कांग्रेस के हाथ से नागौर सीट जा चुकी है और अब खींवसर सीट पर भी बात बननी मुश्किल है. ऐसे में क्या आपको नहीं लगता हनुमान बेनीवाल  जाट राजनीति में सर्वमान्य नेता बनने की तरफ हैं ?


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