Sachin Pilot : पिछले 7 दिनों से जयपुर में अपनी मांगों को लेकर धरना दे रही पुलवामा शहीद की वीरांगनाएं आज रोती हुई सचिन पायलट के यहां पहुंची. पायलट ने वीरांगनाओं के आंसू पोछें खाना खिलाया और उनकी बात को सुना. इसके बाद पायलट ने कहा कि जिन लोगों ने हमारे लिए शहादत दी. उनकी वीरांगनाओं की अगर कोई मांग नियमों के तहत पूरी नहीं हो रही है तो प्रावधान को बदला जा सकता है. उन्होंने कहा कि हर चीज का समाधान निकल सकता है. सरकार चाहे और अगर उसकी इच्छा शक्ति हो तो समाधान निकाला जा सकता है. साथ ही पायलट ने कहा कि जिन पुलिसकर्मियों ने वीरांगनाओं के साथ अभद्रता की है. वह निंदनीय है, पहले तो महिला उसके बाद विधवा और तीसरा उस शहीद की विधवा जिसने हमारे लिए शहादत दी हो. उसके साथ इस तरह का व्यवहार करना किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता हैं. ऐसे पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. वीरांगनाओं ने रोते हुए सचिन पायलट से कहा ल, आप ही हमें न्याय दिला सकते हैं हमारी मुलाकात सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी से करवाओ. सरकार हमारी सुन नहीं रही है.


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पुलिस ने घसीटा, बाल खींचे, मारपीट की -वीरांगनाएं


पुलवामा शहीद की तीन वीरांगनाएं, मंजू जाट पत्नी शहीद रोहिताश लांबा, मधुबाला मीणा पत्नी शहीद हेमराज मीणा और सुंदरी देवी पत्नी शहीद जीतराम गुर्जर. पिछले 7 दिनों से यह तीनों वीरांगनाएं और इनके परिजन राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा के साथ शहीद स्मारक पर धरना दे रहे हैं. पहले इन्होंने विधानसभा पर धरना दिया, जहां से पुलिस ने इन्हें हटा दिया. उसके बाद जब वीरांगनाएं राजभवन राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात करने गई और वहां से सीएमआर की ओर जाने का प्रयास किया. जिस पर पुलिस ने इन्हें रोका और वहां से पुलिस जीप में डालकर उन्हें शहीद स्मारक पर छोड़ दिया. इस दौरान वीरांगनाओं ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें घसीटा, उनके बाल खींचे, उनके साथ मारपीट की. जिससे वीरांगना मंजू जाट की तबीयत बिगड़ गई और उसे एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया.


सरकार ने कहा पैकेज दिया, जो मांग रही हैं वह नियमों में नहीं
इस पूरे घटनाक्रम के बाद रविवार रात सरकार ने एक बयान जारी किया. जिसमें सरकार ने कहा कि हमने पुलवामा शहीद की वीरांगनाओं को कारगिल शहीद के बराबर का पैकेज दिया है.


1. जिसमें 50 लाख रुपए नगद (25 लाख नगद और 25 बीघा जमीन अथवा हाउसिंग बोर्ड का एक मकान)
2. शहीद के माता पिता को 5 लाख की एफडी. जिससे उन्हें मासिक आय होती रहे.


3. शहीद की वीरांगना को सरकारी नौकरी अगर वह नहीं चाहे तो अपने पुत्र पुत्री के लिए सुरक्षित रख सकती है
4. शहीद की याद को चिरस्थाई बनाए रखने के लिए सरकारी स्कूल में अन्य किसी राज्य संस्थान का नाम उसके नाम से करने का प्रावधान


5. शहीद के माता-पिता और वीरांगनाओं को राजस्थान रोडवेज में फ्री पास की सुविधा.


सरकार का कहना है कि वीरांगनाओं को यह पूरा पैकेज दे दिया गया है. वीरांगना मंजू जाट और सुंदरी देवी ने अपने पुत्र व पुत्री के लिए सरकारी नौकरी सुरक्षित रखी थी. अब वह चाहती है कि उनके देवर को यह सरकारी नौकरी दी जाए जो कि नियमों में नहीं है. शहीद हेमराज मीणा के मूर्ति दो जगह पर लग चुकी है आप वीरांगना मधुबाला मिलना चाहती है कि सांगोद चौराहे पर भी उनकी मूर्ति लगाई जाए जो कि न्यायोचित नहीं है.