Jaipur : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इन दिनों धर्म ध्वजा के साथ दिख रहे हैं. मुख्यमंत्री ने पिछले दो दिन में तीन धार्मिक आयोजनों में शिरकत की. भीलवाड़ा और चित्तौड़ जिलों के अलग-अलग आयोजनों में सीएम गहलोत ने तसल्ली से समय दिया. अनगढ़ बावजी में तो एक साथ संत समागम के दर्शन के बाद सीएम गहलोत ने सभी से आशीर्वाद भी लिया. अब राजनीतिक हलकों में इसे अलग–अलग नजरिए से देखा जा रहा है. चर्चा यह है कि इसे मुख्यमंत्री गहलोत के व्यक्तित्व के धार्मिक पहलू के रूप में देखा जाए या फिर भारतीय जनता पार्टी की शैली और सवालों का काउंटर?


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धर्म और राजधर्म में बैठा रहे तालमेंल


आमतौर पर राजनेताओं के हर काम के मायने निकाले जाते हैं और बात सरकार के मुखिया की हो तो इसे अछूता नहीं रखा जा सकता. जब चुनाव का साल हो तो मुख्यमंत्री का हर काम अलग–अलग नजरिए वाला होता है. पिछले दो दिन से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत धर्म और राजधर्म के तालमेल को बिठाते देख रहे हैं. भीलवाड़ा में बुधवार को सुबह राज धर्म निभाते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की सभा में शामिल हुए, तो शाम को श्याम भजन सत्संग कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की उपस्थिति दिखाई दी. भीलवाड़ा में कारोबारी रामपाल सोनी और अलग-अलग संगठनों के सामूहिक आयोजन में कवि कुमार विश्वास ने भगवान श्री कृष्ण के जीवन को बताया. उन्होंने श्री कृष्ण को सबसे बड़ा मैनेजर बताया तो उस समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी पूरे भाव में डूब कर सत्संग का आनंद लेते दिखाई दिए.


कृष्ण जन्माष्टमी पर धार्मिक हुए  मुख्यमंत्री 



तो अगले दिन गुरुवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भी मुख्यमंत्री पूरी तरह धार्मिक भाव में डूबे दिखे. सुबह भीलवाड़ा में जनसुनवाई के बाद मुख्यमंत्री चित्तौड़गढ़ के भदेसर पहुंचे. जहां अनगढ़ बावजी में चल रहे अवधेश चैतन्य प्रभु के चातुर्मास स्थल पर पहुंचकर, सीएम ने उनके दर्शन किए और आशीर्वाद लिया. यहां सीएम गहलोत ने चातुर्मास कर रहे सभी संत वृंद से आशीर्वाद लिया तो उसके बाद जनसभा को भी संबोधित किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्म कई बार आपको रास्ता दिखाता है. एक साथ बड़ी संख्या में संतों का आशीर्वाद मिलने से मुख्यमंत्री अभीभूत दिखे.


अनगढ़ बावजी के बाद सीएम गहलोत सांवलिया सेठ के दर्शन करने पहुंचे. मंडफिया के सरकार के दरबार में हाजिरी लगाकर मुख्यमंत्री ने प्रदेश में शांति और समृद्धि की कामना की, तो मंदिर से लौटते समय स्थानीय लोगों से बात करके उनके मन को भी टटोला.


मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के धार्मिक पक्ष को बीजेपी के काउंटर के रूप में भी देखा जा रहा है. चुनावी साल में जहां कांग्रेस लगातार इस बात की आशंका जाताती रही है कि बीजेपी ध्रुवीकरण करने का प्रयास कर सकती है, वहीं सीएम गहलोत अलग-अलग धार्मिक आयोजन में पहुंचे हैं. सरकार में जिम्मेदारियां संभालने वाले लोग कह रहे हैं कि धर्म किसी एक व्यक्ति या पार्टी का नहीं हो सकता. धर्म की ध्वजा के नीचे तो सभी लोगों को जगह मिलती है. जन अभाव अभियोग निराकरण समिति के अध्यक्ष पुखराज पाराशर कहते हैं कि बीजेपी धर्म को किसी एक व्यक्ति से जोड़ सकती है, लेकिन कांग्रेस के लोग तो सभी धर्म के व्यक्तियों को साथ लेकर चलते हैं और सभी धर्म का सम्मान करते हैं.


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