Karanpur Assembly Election: राजस्थान की भजनलाल सरकार पहले चुनावी लिटमस टेस्ट में फेल हो गई है. श्री गंगानगर की करणपुर विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार और मंत्री बनाए गए सुरेंद्र पाल सिंह टीटी चुनाव हार गए, सुरेंद्र पाल सिंह टीटी पहले राउंड के बाद हर राउंड में पिछड़ते चले गए और अंततः चुनाव में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा.


भजनलाल सरकार के लिए बड़ी हार


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श्रीकरणपुर विधानसभा सीट में भाजपा की हार से सरकार की सेहत पर असर तो नहीं पड़ेगा, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए एक बड़ी किरकिरी है. कांग्रेस के रुपिंदर पाल सिंह कुन्नर 11,283 मतों के अंतर से चुनाव जीतने में कामयाब हुए, तो वहीं मंत्री बनाए गए सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को मुंह की खानी पड़ी. इस हार में भजनलाल सरकार की भी हार है और एक सबक भी है. यह सबक लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को और बड़ा अलर्ट दे रहा है.


9 उम्मीदवारों की जमानत जब्त


इस चुनाव में कुल 11 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे, जिनमें भाजपा की ओर से सुरेंद्र पाल सिंह टीटी तो कांग्रेस की ओर से रूपेंद्र सिंह कुन्नर उम्मीदवार बनाए गए थे. वहीं बसपा, आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल जैसी पार्टियों भी चुनावी मैदान में थी, लेकिन चुनावी नतीजे आए तो भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार को छोड़कर सभी प्रत्याशियों की जमानत जप्त हो गई.


पहली बार हुआ ऐसा


आपको बता दें कि देश के इतिहास में संभवत: ऐसा पहली बार हुआ था, जब किसी उम्मीदवार के चुनाव लड़ने के दौरान ही उन्हें मंत्री बना दिया गया हो. 30 दिसंबर को भजनलाल सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हुआ तो उसमें सबसे चौंकाने वाला नाम सुरेंद्र पाल सिंह टीटी का था, जिन्हें भाजपा ने राज्य मंत्री बना कर स्वतंत्र प्रभार दिया. इसके बाद 5 जनवरी को मतदान के दिन ही भजनलाल सरकार ने विभागों का बंटवारा किया तो सुरेंद्र पाल सिंह टीटी के खाते में कृषि विपणन, विभाग कृषि संचित विभाग और जल उपयोगिता विभाग, इंदिरा गांधी नहर, अल्पसंख्यक मामला और वक्फ बोर्ड जैसे हेवी वेट मंत्रालय दिए गए. हालांकि इस चुनाव में मिली हार के बाद अब सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को अपना मंत्री पद छोड़ना होगा. और यह भी संभवत: पहली बार होगा जब मंत्री बनने के बाद कार्यभार संभालने से पहले ही किसी मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा हो.


गौरतलब है कि 25 नवंबर को प्रदेश की 200 में से 199 सीटों के लिए ही मतदान हुआ था. श्रीकरणपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन के चलते यहां चुनाव टाल दिए गए थे. इसके बाद कांग्रेस ने उनके बेटे रूपेंद्र सिंह कुन्नर को उम्मीदवार बनाया. इस चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली है और साथ ही इससे पार्टी का उत्साह भी बढ़ेगा.


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