Kirodi Lal Meena : क्या है किरोड़ी लाल मीणा के इस्तीफे का कारण, दौसा में BJP की हार, या वजह कुछ और?
Rajashthan news : राजस्थान बीजेपी का बड़ा नाम कहे जाने वाले किरोड़ी लाल मीणा के इस्तीफे से सियासी भूचाल आ गया है. ऐसे में जानकार यह जानने की कोशिश कर रहे हैं, कि उनके रिजाइन की असल वजह दौसा में भारतीय जनता पार्टी की हार है, या कुछ और माजरा है?
Kirodi Lal Meena, Rajasthan Politics : राजस्थान के कद्दावर नेता किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद सोशल मीडिया पर रामचरितमानस की यह पंक्तिया पोस्ट कीं 'रघुकुल रीति सदा चलि आई, प्राण जाइ पर बचन न जाई.' मीणा समुदाय के बड़े नेता किरोड़ी लाल ने इससे पहले भी मंत्री पद को ठुकराया दिया था.
इस बार उनका इस्तीफा दौसा सीट पर बीजेपी की हार के कारण है. उन्होंने जनता से वादा किया था कि अगर दौसा सीट पर बीजेपी हारती है, तो वे इस्तीफा दे देंगे, और उन्होंने अपना वादा निभाया. लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कहा था कि उनके अधीन आने वाली 7 सीटों में से कोई भी सीट हारने पर वे मंत्री पद छोड़ देंगे.
क्या है मीणा की इस्तीफे की वजह?
जानकारों का मानना है कि किरोड़ी लाल मीणा का इस्तीफा केवल दौसा सीट पर हार के कारण नहीं है. वे कई मुद्दों पर खुलकर बोलते रहे हैं और अब सरकार से बाहर रहकर उन मुद्दों को फिर से उठा सकेंगे. चुनाव के बाद राज्य में बीजेपी सरकार बनने पर यह अटकलें थीं कि उन्हें डिप्टी सीएम का पद मिल सकता है, लेकिन उन्हें कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री का पद दिया गया. रिपोर्ट्स के अनुसार, लोकसभा चुनाव के दौरान किरोड़ी लाल मीणा के भाई, जगमोहन मीणा, दौसा से बीजेपी के टिकट के दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने कन्हैयालाल मीणा को प्रत्याशी बनाया, जो चुनाव हार गए.
गुर्जरों के खिलाफ संभाला था मोर्चा
वसुंधरा राजे के पहले कार्यकाल के दौरान जब गुर्जर समाज को एसटी में शामिल करने की मांग उठी, तो पूर्वी राजस्थान में किरोड़ी लाल मीणा ने गुर्जरों के खिलाफ मोर्चा संभाला था. उन्होंने वसुंधरा राजे से आरक्षण में छेड़छाड़ न करने की अपील की थी, लेकिन गुर्जर आरक्षण आंदोलन हिंसक हो गया. जब चोपड़ा आयोग ने गुर्जर आरक्षण पर अपनी रिपोर्ट वसुंधरा राजे को सौंपी, तो मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
इसके बाद, राजे और मीणा के बीच दूरी बढ़ गई. 2008 के चुनाव में किरोड़ी लाल मीणा ने अपनी पत्नी गोलमा देवी को चुनाव मैदान में उतारा, और गहलोत सरकार बनने पर गोलमा देवी मंत्री बनीं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, किरोड़ी लाल मीणा के कहने पर गोलमा देवी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. कहा जाता है कि पूर्वी राजस्थान में उनकी सिफारिश पर सीटें न मिलने के कारण वे कांग्रेस से नाराज थे.