राजस्थान में अगले 3 महीने भील प्रदेश का मुद्दा क्या और जोर पकड़ने वाला है ?
Rajasthan News : राजस्थान में अक्टूबर या नवंबर में विधानसभा उपचुनाव हो सकते हैं. खींवसर,चौरासी, झुंझुनूं, देवली उनियारा और दौसा विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं. ऐसे में कम से कम अगले 3 महीने तक तो भील प्रदेश का मुद्दा गर्माया रहेगा. खासतौर पर चौरासी विधानसभा सीट पर.
Rajasthan News : राजस्थान में अक्टूबर या नवंबर में विधानसभा उपचुनाव हो सकते हैं. खींवसर,चौरासी, झुंझुनूं, देवली उनियारा और दौसा विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं. ऐसे में कम से कम अगले 3 महीने तक तो भील प्रदेश का मुद्दा गर्माया रहेगा. खासतौर पर चौरासी विधानसभा सीट पर.
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कुछ दिन पहले ही भील प्रदेश की मांग को लेकर बांसवाड़ा के मानगढ़ में महासम्मेलन हुआ और 4 राज्यों से 49 जिलों को अलग करके एक अलग प्रदेश- भील प्रदेश कर देने की मांग फिर उठी. दरअसल लोकसभा चुनावों में इस बार भारतीय ट्राइबल पार्टी से अलग होकर बनी भारत आदिवासी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया और राजकुमार रोत सांसद बनें.
चुनावों में पार्टी की परफॉर्मेंस से उत्साहित रोत भील प्रदेश की मांग के साथ ही उपचुनाव में भी जीत को सुनिश्चित करना चाहते हैं. राजस्थान में BAP के तीन विधायक और एक सांसद है. ऐसे में ये उपचुनाव बीएपी जीता हुआ ही मान रही है और आसपास के आदिवासी इलाकों में अपनी पहुंच को और बढ़ाना चाहती है.
राजकुमार रोत का उत्साह उसने सोशल मीडिया अकाउंट X पर लिखे पोस्ट बता देते हैं- जिसमें हाल ही में लिखा गया कि - बहुत जल्द मध्यप्रदेश में भी कमल-कांग्रेस का रगड़ा निकालेंगे. यहां ये बताना जरूरी है कि 2011 की जनगणना के मुताबिक एमपी में भील जनजाति की तादात बहुत ज्यादा है. एमपी के बाद दूसरा नंबर उड़ीसा का आता है.
इधर राजस्थान सरकार में मंत्री मदन दिलावर के आदिवासियों पर दिए बयान पर हुए हंगामे और फिर माफी मांगने के बाद से राजकुमार रोत लगातार चर्चा में बने हैं. उपचुनाव में महज कुछ ही समय बाकी है, ऐसे में भील प्रदेश और जोहार उलगुलान वाले नारे ज्यादा सुनने को मिलेंगे.
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आकंड़ों की बात करें तो इस विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी के पास खाने जैसा तो कुछ हैं ही नहीं. किसी भी सीट पर बीजेपी टक्कर देती नहीं दिख रही है, लेकिन अगर फिर भी कहीं कोई सीट मिल भी गयी तो बीजेपी की सीटों में इजाफा ही होगा. जिन सीटों पर चुनाव हैं, उनमें से तीन सीटों पर कांग्रेस के एमएलए थे और बाकी की दो सीटों में से एक आरएलपी और दूसरी बाप के पास थी.