Rajasthan news : विधानसभा में सोमवार को भाजपा विधायक कालीचरण सराफ द्वारा प्रस्तुत किए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर शहरी विकास और आवास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने अहम बयान दिया. उन्होंने कहा, कि रामबाग गोल्फ क्लब मामले में हुई अनियमितताओं की जांच स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) द्वारा की जाएगी.


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खर्रा ने जानकारी दी कि राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट ने स्थगनादेश (स्टे) दे दिया है. उन्होंने यह भी बताया कि रामबाग गोल्फ क्लब जे.डी.ए. की जमीन पर स्थित है, लेकिन क्लब और जे.डी.ए. के बीच कोई समझौता ज्ञापन (MOU) नहीं है. इस पर विधायक सराफ़ ने सवाल उठाया कि जब MOU नहीं है, तो वहां बार कैसे संचालित हो रहा है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब कोर्ट ने मेंबरशिप पर रोक लगाई है, तो नए सदस्य कैसे शामिल हो गए. सराफ ने कहा कि जो लोग इस मामले को उठा रहे थे, उन्हें क्लब की मेंबरशिप दे दी गई.


प्रभावी रूप से होगी पैरवी



खर्रा ने कहा कि सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में प्रभावी रूप से अपनी पैरवी करेगी. उन्होंने बताया कि रामबाग गोल्फ क्लब का संचालन दिल्ली गोल्फ क्लब की तर्ज पर किया जाएगा. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि क्लब की प्रबंधक और कार्यकारी समिति में सरकार का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, इसलिए इसके संचालन की जिम्मेदारी जे.डी.ए. को सौंपी जाएगी. खर्रा ने कहा कि कार्यकारी और प्रबंध समिति की वित्तीय अनियमितताओं की जांच एसओजी से करवाई जाएगी. मंत्री के इस एलान के बाद सदन में कई विधायकों ने टेबल बजाकर इस फैसले का स्वागत किया.


मंत्री शांति धारीवाल ने भी उठाया मुद्दा



वहीं पूर्व मंत्री शांति धारीवाल ने एक बार फिर विधानसभा में रामबाग गोल्फ क्लब और पोलो क्लब के अतिक्रमण के मुद्दे को उठाया. बजट पर बहस के दौरान उन्होंने सरकार के बजट में खामियों को गिनाया और गोल्फ क्लब के मामले पर अपनी बात रखी. धारीवाल ने कहा कि भले ही यूडीएच मंत्री और सरकार इस मामले की जांच कर लें, लेकिन इन क्लबों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती क्योंकि इन्हें सरकार में बैठे लोगों का संरक्षण प्राप्त है.


अधिकारियों के दस्तखत मौजूद 



उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि आप इन क्लबों का कुछ नहीं बिगाड़ सकते. धारीवाल ने बताया कि भले ही जेडीए और क्लब के बीच एमओयू न हुआ हो, लेकिन एक समझौता हो चुका है. इस समझौते पर गोल्फ क्लब, पोलो क्लब और जेडीए के अधिकारियों के दस्तखत मौजूद हैं.


सुप्रीम कोर्ट में भी यह मामला पहुंचा, और कोर्ट ने मान लिया है कि यह अतिक्रमण है. लेकिन खेल गतिविधियों को कोई तो संचालित करेगा ही, इसीलिए इन पर कार्रवाई करना मुश्किल है. धारीवाल ने सवाल उठाया कि क्या सरकार में बैठे लोग इन क्लबों पर कार्रवाई होने देंगे? इस पर झाबर सिंह खर्रा ने जवाब दिया कि यह मामला पहले हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में गया. कोर्ट का जो भी आदेश होगा, उसका पालन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर जांच में किसी की गलती पाई गई तो उस पर कार्रवाई की जाएगी. खर्रा ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा, "ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर."