Rajasthan politics: विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही आदिवासी इलाके में वागड़ प्रयाग कहे जाने वाले बेणेश्वर धाम पर सियासी गर्मी तेज हो गई है. रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बेणेश्वर धाम के दौरे पर है, जहां वे विधानसभा चुनाव से पहले एक सभा को संबोधित करेंगे. इधर, बेणेश्वर धाम पर भाजपा, कांग्रेस और अन्य राजनैतिक दल अपनी सभाएं कर चुके है, लेकिन राजनेतिक पार्टियों को लाभ देने वाला बेणेश्वर धाम आज भी विकास और अपने स्वरूप को बदलने की बाट देख रहा है.


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 बेणेश्वर धाम की सीटों का समीकरण
राजस्थान के दक्षिणांचल स्थित आदिवासी इलाके की 28 विधानसभा सीट में से 16 सीट एसटी रिजर्व है. जिसमे डूंगरपुर जिले की 4, बांसवाड़ा जिले की 5, प्रतापगढ़ की 2 और उदयपुर जिले की 5 सीट शामिल है. राजनैतिक गलियारों में यह चर्चा आम है कि जो दल इन सीटों पर बढ़त लेता है, वह राज्य में सत्ता पर काबिज होता है. ऐसे में हर चुनाव के दौरान आदिवासियों की आस्था का केंद्र बेणेश्वर धाम राजनीति का केंद्र बन जाता है.


पीएम से लेकर राहुल गांधी तक सभी ने टोहा जनाता का मन
बता दें कि पूर्व में कांग्रेस की राष्ट्रीय नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित भाजपा, कांग्रेस और अन्य राजनेतिक दलों के नेता यहां सभाएं कर चुके है. वही अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी पहली बार 3 सितंबर को बेणेश्वर धाम पर पहुंचकर आदिवासी वोट बैंक को साधने की कोशिश करेंगे. अमित शाह दोपहर 12 बजे तक बेणेश्वर धाम पहुंचने का कार्यक्रम है. अमित शाह के साथ ही केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल, कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समेत कई बड़े भाजपा नेता मंच पर मौजूद रहेंगे. अमित शाह का बेणेश्वर धाम पर स्थित राधा कृष्ण मंदिर में दर्शन करेंगे. धाम के महंत अच्यातंद महाराज से धाम को लेकर चर्चा करेंगे. इसके बाद अमित शाह बेणेश्वर धाम से डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, सलूंबर, प्रतापगढ़ जिलों की 28 सीटों को साधने का प्रयास करेंगे. डूंगरपुर, बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ जिले की 11 सीटे एसटी रिजर्व है.
राजनैतिक दलों को बेणेश्वर प्यारा लेकिन विकास पर नहीं दिया ध्यान


सोम, माही और झाखम नदी से घिरे टापू बेणेश्वर धाम से राजनेतिक दलों ने तो खूब फायदा उठाया, लेकिन धाम के विकास की बात आई तो सभी दलों की सरकारों ने कोई खास ध्यान नहीं दिया. धाम पर आने वाले नेता घोषणाएं तो कई कर गए लेकिन धाम आज भी विकास की बाट देख रहा है. वर्ष 2014 में भाजपा की वसुंधरा सरकार ने बेणेश्वर धाम के विकास के लिए 255 करोड़ रुपए का प्लान बनाया लेकिन महज 15 करोड़ रुपए के विकास कार्य धाम पर करवाए गए. ये विकास कार्य भी गुणवत्ता हीन होने के कारण बेकार हो गए. अब वर्तमान में गहलोत सरकार ने बेनेश्वर धाम के विकास के लिए 100 करोड़ रुपए की योजना बनाई है. लेकिन चुनाव नजदीक होने से शीघ्र आचार सहिता लग जाएगी और यह काम भी फिलहाल धरातल पर उतरने की उम्मीद कम है. हालाकि वर्तमान गहलोत सरकार की ओर से बेणेश्वर धाम पर 132 करोड़ की लागत से हाई लेवल ब्रिज का निर्माण कार्य चल रहा है.
अस्थाई रूप से सजाबेणेश्वर धाम
बहरहाल, एक बार फिर बेणेश्वर धाम केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की सभा के लिए अस्थाई रूप से सज रहा है. गृहमंत्री अमित शाह के जाने के बाद धाम फिर उजड़ जाएगा. आस्था का केंद्र होने और जनभावनाओं को देखते हुए सरकारों को चाहिए की वे राजनीतिक ऊपर उठकर धाम के विकास का खाका तैयार उसे धरातल पर उतारे . तभी बेणेश्वर धाम के साथ न्याय हो पाएगा.


रानैतिक दल अपनी सभाएं कर चुके है, लेकिन राजजनेतिक पार्टियों को लाभ देने वाला बेणेश्वर धाम आज भी विकास और अपने स्वरूप को बदलने की बाट देख रहा है.


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