Rajasthan Politics : अपने बयानों के कारण हमेशा सुर्खियों में रहने वाले राजेंद्र गुढ़ा एक बार फिर से चर्चा में हैं. खबर है कि उदयपुरवाटी के पूर्व विधायक राजेंद्र गुढ़ा एक बार फिर से राजनीतिक पाला बदल सकते हैं. गुढ़ा झुंझुनू विधानसभा के उपचुनाव में शिवसेना को छोड़कर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM से चुनाव लड़ सकते हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


इन सियासी अटकलों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. शिवसेना शिंदे गुट के प्रदेश संयोजक राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने सोमवार को झुंझुनू में मीडिया से बात की. इस दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि वह शिवसेना से चुनाव नहीं लड़ेंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि "AIMIM के सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी मेरे मित्र हैं और हम अक्सर मिलते हैं. मैं उनका बहुत सम्मान करता हूँ."


फिर पार्टी बदलने की तैयारी में गुढ़ा?



राजेंद्र गुढ़ा, जो पहले कांग्रेस में थे और फिर शिवसेना में शामिल हुए, अब एक बार फिर से अपनी राजनीतिक दिशा बदलने की तैयारी में हैं. झुंझुनू लोकसभा सीट से विधायक बृजेंद्र ओला के सांसद बनने के बाद, झुंझुनू विधानसभा सीट खाली हो गई है और अब वहां उपचुनाव होने वाले हैं. राजेंद्र गुढ़ा की नजर अब इस खाली हुई झुंझुनू विधानसभा सीट पर है. इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि झुंझुनू में 23% मुस्लिम वोटर्स हैं. इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए, राजेंद्र गुढ़ा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM का साथ ले सकते हैं. सोमवार को बकरीद के अवसर पर गुढ़ा ईदगाह गए और वहां उन्होंने मुस्लिम समुदाय को ईद की मुबारकबाद दी. इस दौरान उन्होंने AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की भी सराहना की.


2008 और 2018 में बसपा से लड़े चुनाव



गुढ़ा ने 2008 और 2018 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों बार जीतने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए. गहलोत सरकार ने उन्हें स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्यमंत्री बनाया, लेकिन भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपनी ही सरकार की आलोचना करने के बाद उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया. उनका 2021 में उदयपुरवाटी में दिया गया एक वीडियो अक्सर वायरल होता रहता है, जिसमें वे जनता से कहते हैं, 'मैं बसपा से चुनाव जीतता हूं और फिर कांग्रेस में शामिल होकर मंत्री बन जाता हूं. जब कांग्रेस में काम करने का समय आता है तो मैं कहता हूं, "संभालो अपनी पार्टी", क्या मेरे खेल में कोई कमी है?'


 गहलोत सरकार की बढ़ा दी थीं मुश्किलें



राजेंद्र गुढ़ा ने पिछले साल विधानसभा में लाल डायरी दिखाकर गहलोत सरकार को मुश्किल में डाल दिया था. इस लाल डायरी के आधार पर उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे. अपनी ही सरकार की आलोचना करने के कारण उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया था. इसके बाद राजेंद्र गुढ़ा ने कांग्रेस छोड़कर एकनाथ शिंदे गुट वाली शिवसेना का दामन थाम लिया और उसी के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन वे विधानसभा चुनाव हार गए. अब चर्चा है कि गुढ़ा फिर से पार्टी बदल सकते हैं.