Jaipur : कांग्रेस ने अपने चुनावी अभियान में पहली बार पार्टी के पदाधिकारियों और बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं से संवाद किया. राजस्थान में पहली बार हुए इस प्रयोग में कांग्रेस अपनी पुरानी लय-ताल हासिल करने की कोशिश में दिखी. कांग्रेस नेताओं ने राज्य सरकार की योजनाओं का ज़िक्र तो किया, लेकिन साथ ही दलित-ओबीसी के अपने पुराने वोट बैंक पर भी फोकस कर दिया है. कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी दोनों के ही भाषणों में एससी-एसटी, ओबीसी के साथ आधी आबादी की बात दिखी.


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कांग्रेस ने चुनावी साल में नया प्रयोग किया. राजस्थान में पहली बार पार्टी के पदाधिकारियों का सम्मेलन किया. हालांकि पहले यह सम्मेलन बूथ स्तर से लेकर प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों का था, लेकिन सभा का समय आते-आते इसमें कार्यकर्ता भी जुड़ गए. सभा को लेकर कांग्रेस के लोगों में उत्साह था, और ऐसा इसलिए भी क्योंकि राजस्थान में यह अपने तरह का पहला सम्मेलन था. पार्टी नेताओं ने भी कार्यकर्ताओं का हौंसला बढ़ाने के लिए उन्हें रोचक संज्ञा दी. किसी ने उन्हें पार्टी की रीढ़ बताया तो किसी ने शेर और किसी ने पार्टी के आंख-कान और हाथ की संज्ञा दी.



सीएम गहलोत ने की  एकजुट रहने की अपील 


वहीं सीएम अशोक गहलोत ने भी पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं से चुनाव में एकजुटता से जाने की अपील की. सीएम गहलोत ने सभा में आए लोगों को कांग्रेस का परिवार बताते हुए कहा कि पहली बार ऐसा है जब चुनाव में सरकार विरोधी लहर नहीं है. गहलोत ने कहा कि कार्यकर्ता सभी मतभेद भुलाकर जनता के बीच कांग्रेस के दोनों राष्ट्रीय नेताओं का संदेश लेकर जाएं.


राजस्थान में टूटेगी 30 साल की परिपाटी


सचिन पायलट ने भी कार्यकर्ताओं को संकल्प दिलाते हुए कहा कि सभी पार्टी को जिताने के लिए काम करें. पायलट बोले कि कार्यकर्ता सम्मेलन और उसमें आए लोगों का उत्साह इस बात का गवाह है कि राजस्थान में 30 साल की परिपाटी टूटेगी. पायलट ने भी सबके साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात कही. उन्होंने कहा कि जब तक कांग्रेस का नया भवन बनेगा तब तक केन्द्र और राज्य में कांग्रेस की सरकार बन चुकी होगी.


पायलट और गहलोत ने एकजुटता के साथ चुनाव में जाने की बात की, लेकिन राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के दिमाग में अलग मुद्दे पर फोकस चल रहा था. दोनों नेताओं ने पार्टी के कोर वोट को साधने की कोशिश की. राहुल गांधी ने बीजेपी और मोदी को महिला आरक्षण, ओबीसी की उपेक्षा और जातिगत जनगणना के मुद्दे पर घेरा. राहुल गांधी ने तो यहां तक कहा कि वे ओबीसी का सवाल पूछेंगे तो मोदी अपने भाषण में ओबीसी का ज़िक्र ही नहीं करेंगे.


SC-ST और OBC को साधने की कोशिश


उधर मल्लिकार्जुन खरगे ने भी ओबीसी के साथ एससी-एसटी वर्ग को साधने की कोशिश की. खरगे ने केन्द्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि सरकार एक-एक कर बड़ी संस्थाओं को प्राइवेट हाथों में दे रही है. उन्होंने कहा कि ऐसा ही रहा तो ना ही नौकरियां बचेंगी और ना ही आरक्षण. खरगे ने कहा कि केन्द्र में ओबीसी सचिवों का प्रतिनिधित्व इतना कम है? तो एससी-एसटी को कौन पूछने वाला है? अपनी बात में खरगे ने साफ कहा कि अगर ऐसा ही रहा तो फिर से मनु के दिन आएंगे और आप परमानेन्टली गुलाम बन जाओगे. खरगे ने लोगों को चेताते हुए कहा कि गुलामी ने बचना है? तो कांग्रेस को वोट दो.


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