Pratapgarh:  छोटी सादड़ी में हजारों नम आंखें भक्ति से प्रीत के लिए ली मां-बेटी की अनूठी दीक्षा की साक्षी बनी. आचार्य कुलबोधी सुरीश्वर आदि ठाणा पांच और साध्वी सौम्यरत्ना श्रीजी आदि ठाणा पांच के पावन सान्निध्य में भव्य दीक्षा समारोह का आयोजन हुआ. जहां आचार्य सुरीश्वर ने शिक्षा संस्कार की शुरुआत की और भगवान महावीर, पूर्वाचार्यों का स्मरण कर दीक्षार्थियों को यावज्जीवन के लिए सर्व सावद्य योग का त्याग करवाया. रजोहरण प्रदान एवं आध्यात्मिक नामकरण के साथ ही दीक्षार्थी साधु संस्था के सदस्य बन गए.


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नगर के श्यामजी की बगीची में आयोजित दीक्षा समारोह में देशभर से आये श्रीसंघो के श्रावक श्राविकाएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे.श्रावक श्राविकाओं की उपस्थिति में आचार्य कुलबोधी सुरीश्वर ने दीक्षार्थी बहनों को विभिन्न मंत्रोचार के साथ रजोहरण का ओगा प्रदान किया. दीक्षा आध्यात्मिकता का नया जन्म है. पूज्य प्रवर ने मुमुक्षु को नवीन नाम भी प्रदान किए और दीक्षार्थी प्रीति बहन का साध्वी प्ररार्थ रत्नाका, एवं सारा बनी गीतार्थ रत्ना. 


रजोहरण लेकर दोनों दीक्षार्थी बहने लगभग 10 मिनट तक स्थापना जी पर विराजित भगवान की प्रतिमा के चारों ओर आनंद और उत्साह के साथ नृत्य कर परिक्रमा की. ऐसा लगा कि साक्षात देवलोक से भगवान इन्हें आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं. इससे पूर्व इससे पूर्व मुमुक्षु ने अपने शरीर पर धारण विभिन्न गहनें एवं अन्य कीमती सामग्री वहां पर मौजूद जनसमूह को दान कर दी. 


समारोह के दौरान कांतिलाल मुरडिया के निवास पर जाकर सांसारिक वस्ंत्रो को त्याग कर धवल वस्त्र धारण कर साध्वी की तरह दीक्षा समारोह में पहुंची. उनके इस स्वरूप को देखकर उपस्थित हजारों लोगों की आंखों में आंसू बह निकले. वहां उपस्थित समूह के जरिए दीक्षार्थी बहनों को अक्षत् वर्षा कर बधाया. इसके साथ ही मुमुक्षु बहनों को आचार्य द्वारा प्रदत नवीन नाम के घोषणा की बोली भी लगाई गई.


Reporter: HITESH UPADHYAY