Ram Mandir: अयोध्या में विवादित ढांचे पर सबसे पहले राम नाम का ध्वज फहराने वाले वाले राजसमंद जिले के सियाणा गांव के राम सिंह अयोध्या पहुंच गए है. अयोध्या पहुंचने के बाद राम सिंह ने अपने वीडियो संदेश में खुशी जाहिर करते हुए कहा कि आज उनका सपना पूरा हुआ ओर श्रीराम लला दर्शन की मनोकामना पूरी हुई. बता दें कि उनके साथ चारभुजा के प्रमुख संत मोनी बाबा भी अयोध्या पहुंचे है.


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राम सिंह पूर्व सैनिक हैं 
जानकारी के अनुसार आमेट के सियाणा गांव के 71 साल के राम सिंह पूर्व सैनिक हैं जो कि 1980 में सेना से रिटायर हुए उसके बाद सियाणा गांव में निवास कर रहे थे, इसके बाद संतो के आह्वान पर वो अक्टूबर 1990 काे अयोध्या में कार सेवा के लिए सियाणा गांव से रवाना हुए थे और सियाणा गांव से वो देवगढ गए जहा से वो दिल्ली होते हुए कानपुर पहुंचे और 27 अक्टूबर को अयोध्या पहुंच गए.जहां गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के पास राधा कृष्णजी का मंदिर था.



यहां पर 28 तारीख की पूरी रात भजन किए और 29 की सुबह अयोध्या में प्रवेश के दौरान गिरफ्तारियां हो रही थी. इस दौरान राम सिंह ने तारबंदी को कूद कर फौजी एरिया में चले गए. जहां फौजियों ने पूछा सीधे अंदर कैसे आए. जिस पर राम सिंह ने अपना पुराना आर्मी का कार्ड दिखाया. जिससे उनकी थोडी पहचान हुई . जहां उनको चाय नाश्ता कराने के एक घंटे के बाद उनको वहा से जाने के लिए रोड का रास्ता दिखाया और कहा कि ये रास्ता सेफ है.


साधु संतो के साथ सबसे आगे चले 
 आगे जाने पर साधु संतों की भीड़ दिखाई दी जिसके बाद राम सिंह साधु संतो के साथ सबसे आगे चले गए. वहा पर भी तारबंदी कर रखी थी. वहा पर जय श्री राम के जयघोष लगाए जा रहे थे इस दौरान कार सेवकों पर लाठिया भी चल रही थी. उन्होंने सोचा एक लडाई तो देश के लिए लड़ी ओर अब एक लडाई श्रीराम के लिए जहॉ लाठियां खानी पड रही लेकिन उन्होंने सोच लिया कि अब वो रूकेंगे नहीं.  आगे की तारबंदी ओर पुलिस की सख्ती को देखते हुए राम सिंह ने अंदाजा लगाया कि विवादित जगह तो यही लग रही है. 


वटवृक्ष की जड़ पकड कर वो गुमंद पर चढ़े
उसके बाद विवादित स्थल के साइड में वटवृक्ष की जड़ पकड कर वो गुमंद पर चढ़ गए. उसके बाद एक महात्मा और चढ़ने की कोशिश कर रहे थे,उनको भी राम सिंह ने उपर की ओर खिंच लिया. उसके पांच-सात मिनट बाद और लोग भी उपर चढ़ गए ओर दूसरे गुमंद पर भी कुछ लोग चढ़ गए. इस दौरान वहा उनको एक लोहे का सरिया मिला. जिसके प्रहार से गुम्बद का पीतल का शिखर उन्होंने तोड़कर अपने थैले में डाल दिया. उसके बाद अपने थैले से राम नाम लिखा हुआ कपड़ा निकाला और ये राम नाम का कपडा उनको दूसरे साधु के थैले से मिला जिनका थैला बदल गया था उसमें से निकली.


 इस घटना को पुलिस के एक अधिकारी ने देख लिया जिसके बाद उसने दो सिपाही को बोला डंडे लगाकर नीचे उतारों इसको. इसके बाद उनको दो डंडे मारे लेकिन राम सिंह बताते है इस दौरान उनको बिल्कुल भी दर्द नही हुआ. इस दौरान एक बंदर वहा पहुंच गया ओर पुलिस वालों को झंडा नही हटाने दिया. उसके बाद उनको वहा से भगा दिया गया. इसके बाद शाम को अशोक सिंगल ने भी उनके उत्साह वर्धन किया उसके बाद वो रोडवेज में बैठकर वापस राजसमंद आ गए.


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