लंपी का कहरः विधायक इंदिरा मीणा ने सेवा का बढ़ाया हाथ, विधायक निधि से दिए 5 लाख
सवाईमाधोपुर के बामनवास में लंपी वायरस से गायों के रोकथाम एवं उपचार के लिए बामनवास विधायक इंदिरा मीणा ने 5 लाख की राशि विधायक कोष से स्वीकृत करने की अभिशंसा की है.
Bamanwas: सवाईमाधोपुर के बामनवास में लंपी वायरस अब दूधिया पशुधन के लिए नासूर बनता जा रहा है. विशेषकर यदि बेसहारा गोवंश की बात करें तो लंपी वायरस लावारिस गायों पर कहर बरपा रहा है. क्षेत्र में सरकारी आंकड़ों के विपरीत 1000 से अधिक गोवंश आंशिक अथवा पूर्णतया लंपी स्किन वायरस की चपेट में आ चुके हैं. वहीं 50 से अधिक गोवंश की मौत हो चुकी हैं. हालाता इस तरह भयावह हो गए है कि पशु चिकित्सा विभाग के पास सीमित संसाधन होने से लावारिस गोवंश को आवश्यक उपचार नहीं मिल पा रहा है.
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इसी भयावता को देखते हुए बामनवास विधायक इंदिरा मीणा ने लंपी स्किन वायरस की रोकथाम एवं उपचार के लिए 5 लाख की राशि विधायक कोष से स्वीकृत करने की अभिशंसा की है. इसके साथ ही वैक्सीनेशन और अन्य एलोपैथिक दवाओं के ट्रेड के विपरीत विधायक इंदिरा मीणा ने स्थानीय पशुपालकों से देसी काढ़े पर फोकस करने की अपील की.
घातक हो सकता संक्रमित पशु का वैक्सीनेशन
इसी बारे में मीडिया से रूबरू होते हुए विधायक इंदिरा मीणा ने बताया कि लंपी वायरस की चपेट में आने के बाद संक्रमित पशु का वैक्सीनेशन घातक भी हो सकता है. अब तक के प्रेक्टिकल अनुभव के आधार पर देसी काढ़ा और आयुर्वेदिक औषधियां संक्रमण की रोकथाम में काफी लाभकारी सिद्ध हुई है. ऐसे में विधायक इंदिरा मीणा ने टीकाकरण और एन्टीबायोटिक दवाओं की बजाय देसी गुड,काली मिर्च,लौंग,नीम,गिलोय,हल्दी,आंवला व अन्य औषधियों से मिश्रित आयुर्वेदिक काढ़े का अधिकाधिक उपयोग करने की सलाह पशुपालकों को दी है.
आयुर्वेदिक काढ़े हो रहा प्रचार - प्रसार
आयुष चिकित्सा विभाग के सोशल मीडिया के जरिए आयुर्वेदिक काढ़े का प्रचार प्रसार किया जा रहा है. विधायक इन्दिरा मीना ने स्थानीय पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों से वार्ता कर संक्रमित पशुओं को आइसोलेट करवाने, गौशालाओं में सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव करवाने व गंभीर रूप से संक्रमित पशुओं को त्वरित रूप से चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध करवाने सहित आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं.
गौरतलब है कि, वायरस का सर्वाधिक प्रकोप निराश्रित गोवंश पर देखने को मिल रहा है. क्षेत्र में हजारों की तादाद में निराश्रित गोवंश है. बौंली की बात करें तो क्षेत्र में 3 गौशालायें संचालित है लेकिन हजारों की तादाद में निराश्रित गोवंश के लिए नाकाफी साबित हो रही है. बामनवास क्षेत्र में भी स्थाई गौशाला की मांग वर्षो से लंबित है ऐसे में स्थानीय गौ सेवकों में भी आक्रोश देखा जा रहा है.
Reporter: Arvind Singh
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