सवाई माधोपुर: सरकार की अनदेखी के चलते नगर परिषद का सभापति भ्रष्टाचार के मामले में दो माह की जेल काटने के बाद फिर से सभापति की कुर्सी संभाल ली. दरअसल, विगत 21 अक्टूबर की एसीबी की टीम द्वारा सवाई माधोपुर नगर परिषद सभापति को 30 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों ट्रैप किया था.


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ट्रिपिंग की कार्रवाई के बाद एसीबी ने सभापति विमलचंद महावर को न्यायालय में पेश किया था, जहाँ न्यायालय ने सभापति विमलचंद महावर को जेल भेज दिया. बड़ी बात ये रही कि सभापति विमलचंद महावर के रंगे हाथों ट्रैप होने एंव जेल जाने के बाद भी प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने सभापति को पद से निलंबित नही किया और ना ही कांग्रेस ने उसे पार्टी से बेदखल किया.


भ्रष्टाचार के आरोप में जेल गए थे सभापति


सभापति को निलंबित नही करने को लेकर भाजपा द्वारा काँग्रेस सरकार पर जमकर हमला भी किया गया और पार्षदों सहित भाजपाइयों ने नगर परिषद के समक्ष कई दिनों तक धरना भी दिया, लेकिन कांग्रेस सरकार द्वारा नगर परिषद के भ्रष्ट सभापति को निलंबित नही किया गया. ऐसे में सभापति विमलचंद महावर की बुधवार यानी 21 दिसम्बर को जमानत हो गई और सभापति एक बार फिर अपनी सीट पर काबिज हो गए. सभापति के फिर से सीट पर बैठने पर काँग्रेसियों द्वारा माला पहनाकर सभापति विमलचंद महावर का स्वागत भी किया गया.


कांग्रेस के अंदर खाने से खबर मिल रही है कि सभापति सवाई माधोपुर विधायक एंव मुख्यमंत्री सलाहकार दानिश अबरार के चहेते हैं. ऐसे में विधायक के इशारों पर ही काँग्रेस सरकार द्वारा सभापति को निलंबित नहीं किया गया और निलंबन नहीं होने पर जेल से बाहर आने के साथ ही सभापति विमलचंद महावर एक बार फिर अपनी सीट पर काबिज हो गए.


मंत्री मामले की जांच कराने की कह रहे बात


सभापति के मामले को लेकर राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मीडिया द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी सवाल किया गया था तब अशोक गहलोत ने मामले से अनभिज्ञता जाहिर करते हुवे मामले को दीवाने की बात कही थी. वहीं, आज जिला प्रभारी मंत्री से जब सभापति पर सवाल किया गया तो मंत्री कोई जवाब नहीं दे पाए और मामले की जांच करवाने की बात करते रहें. वहीं भाजपा पार्षदों का कहना है कि वे अब इस मामले में न्यायालय की शरण मे जाएंगे.


Reporter- Arvind Singh