Sawai madhopur News: राजस्थान के सवाई माधोपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम के दौरान एक बार फिर रणथंभौर का जिक्र किया. मन की बात कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्यावरण संरक्षण पर बात करते हुए रणथंभौर का जिक्र किया और कहा कि जन-भागीदारी का ऐसा ही एक प्रयास है "कुल्हाड़ी बंद पंचायत". राजस्थान के रणथंभौर से शुरू हुआ “कुल्हाड़ी बंद पंचायत” अभियान बहुत दिलचस्प है. 


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इस अभिनव पहल के अंतर्गत स्थानीय समुदायों ने स्वेच्छा से यह प्रण लिया है कि वे वन क्षेत्र में कुल्हाड़ी लेकर प्रवेश नहीं करेंगे तथा वृक्षों की कटाई से विरत रहेंगे. इस सार्थक निर्णय के फलस्वरूप क्षेत्र के वन पुनः हरित हो रहे हैं. साथ ही बाघों के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण हो रहा है. प्रधानमंत्री द्वारा मन की बात कार्यक्रम में ''कुल्हाड़ी बंद पंचायत" अभियान की सराहना निश्चय ही सभी पर्यावरणविदों एवं प्रकृति प्रेमियों में नवीन उत्साह और ऊर्जा का संचार करेगी. 


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प्रधानमंत्री के प्रभावी नेतृत्व में हमारी सरकार पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन हेतु कटिबद्ध है. प्रधानमंत्री द्वारा मन की बात कार्यक्रम में रणथंभौर का जिक्र करने एंव मुख्यमंत्री द्वारा एक्स पर लिखने के बाद रणथंभौर से जुड़े एनजीओ एवं वन पर्यावरण प्रेमियों में खुशी है और उन्होंने प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया है. रणथंभौर से जुड़े एनजीओ पथिक लोक सेवा समिति सचिव मुकेश सीट ने बताया कि जिस तरह प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में रणथंभौर का जिक्र करते हुए कुल्हाड़ी बंद पंचायत का जिक्र किया है. 




वो रणथंभौर में काम करने वाली एनजीओ व यहां के पर्यावरण प्रेमियों के लिए गर्व की बात है. उन्होंने बताया कि रणथंभौर से वन विभाग के अधिकारी एंव कर्मचारियों के साथ ही रणथंभौर में पर्यावरण संरक्षण को लेकर काम करने वाली विभिन्न एनजीओ व पर्यावरण प्रेमियों द्वारा लंबे समय से रणथंभौर से सटे ग्रामीण क्षेत्रो में जागरूकता अभियान चलाया जाता रहा है. अभियान के तहत लोगों को पेड़ नहीं काटने को लेकर जागरूक किया जाता है. 


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एनजीओ और पर्यावरण प्रेमियों तथा वन विभाग की मेहनत का ही नतीजा है कि रणथंभौर से सटे गांवों के ग्रामीणों द्वारा अब यहां पेड़ नहीं काटे जाते और ग्रामीण अब जंगल में कुल्हाड़ी लेकर नहीं जाते बल्कि अब ग्रामीण पर्यावरण को लेकर जागरूक और सजग है. यहां के लोग अब "पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ" की थीम पर काम करते हैं और पर्यावरण संरक्षण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. यही वजह है कि अब रणथंभौर के जंगल हरे भरे हैं और रणथंभौर के बाघों को पहले से बेहतर पर्यवास मिल रहा है.