Khandar, Sawai Madhopur: सवाई माधोपुर जिले के खंडार उपखण्ड क्षेत्र में इन दिनों आसमान से सूरज आग उगल रहा है. तपती धरती और गर्म हवा के थपेड़ों से जहां लोग बेहाल नजर आ रहें हैं वहां बेजुबान जानवरों और पक्षियों की हालत की तो कल्पना करना भी मुनासिब नहीं है.


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युवा भी बड़ी तादात में बांध रहे परिंडे 


इस जला देने वाली तेज गर्मी में बेजुबानों पक्षियों को भूख और प्यास से बचाना किसी चुनौती से कम नहीं है. पक्षियों को तेज गर्मी में भूख प्यास से बचाने के लिए खंडार कस्बा निवासी 21 वर्षीय युवक ओमप्रकाश प्रजापत ने जिम्मा उठाया.पक्षियों के लिए जुनून ऐसा की जितनी चर्चा की जाए उतनी कम पड़ती हैं. इस शख्स का पक्षियों को भूख-प्यास से बचाने का जुनून संकल्प बन गया और हर साल अपनी मेहनत से रात दिन एक करके मिट्टी के परिंडे तैयार कर सार्वजनिक स्थानों छायादार पेड़ों, गली, मोहल्लों,कार्यालयों में और घरों में निःशुल्क उपलब्ध कराने जिम्मा उठाया.युवक के इस जुनून से जागरूक युवा भी बढ़ चढ़कर पक्षियों को तेज गर्मी में भूख प्यास से बचाने के लिए बड़ी तादात में परिंडे बांध रहें हैं.


बचपन से ही बेजुबान पशु पक्षियों से खासा लगाव


दरअसल खंडार तहसील मुख्यालय पर एक गरीब कुम्भकार परिवार में जन्म लेने वाले 21 वर्षीय ओमप्रकाश प्रजापत के बेजुबान पशु पक्षियों के प्रति प्रेम,सेवा भाव और समर्पण की भावना देखते ही बनती है.ओमप्रकाश प्रजापत बताते है कि बचपन से ही बेजुबान पशु पक्षियों से उनका खासा लगाव रहा है कुछ सालों पहले भीषण गर्मी के चलते बेजुबान पक्षियों की भूख और प्यास से मौत होने और जगह जगह पक्षियों के शव पड़े हुए देखने के बाद उन्हें अंदर तक झकझोर दिया. ऐसे ह्रदय विदारक मंजर के बाद ओमप्रकाश प्रजापत ने ये ठान लिया कि वो पक्षियों को बचाने और उनके दाने पानी का प्रबंध स्वयं करेंगे.


उपखण्ड मुख्यालय खंडार क्षेत्र में ओमप्रकाश प्रजापत का पक्षी प्रेम लोगों में खासा चर्चा का विषय बना हुआ है, ओमप्रकाश प्रजापत बताते है कि परिंडे बनाने के लिए काली मिट्टी उपयोग में लाई जाती है जो उपखण्ड मुख्यालय से करीब 5 किलोमीटर दूर परसीपुरा गांव से खोदकर लाई जाती है. शुरुआत में साइकल पर मिट्टी लादकर लानी पड़ती थीं फिलहाल परिंडे अभियान से जुड़े युवाओं के साथ बाइक से मिट्टी लाकर परिंडे बनाने का कार्य किया जा रहा है. 


पहले कुम्भकारी का कार्य ओमप्रकाश प्रजापत के पिता करते थे, पिता के देहांत के बाद मिट्टी के बर्तन बनाने का कार्य पूरी तरह बंद कर दिया था फिर बेजुबान पक्षियों की तड़प की टीस ने ओमप्रकाश प्रजापत को चाक चलाने पर मजबूर कर दिया.ओमप्रकाश स्वयं चाक चलाते है और मिट्टी के परिंडे तैयार करते है.परिंडे बनाने और उन्हें वितरण करने के लिए ओमप्रकाश प्रजापत किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लेते. पक्षियों को तेज गर्मी और भूख प्यास से बचाने की पहल अब एक अभियान बन चुकी है उपखण्ड मुख्यालय सहित आसपास के क्षेत्रों में युवा, बुजुर्ग, महिलाएं इस मुहिम से जुड़कर ओमप्रकाश प्रजापत के परिंडे बांधने के संकल्प को साकार करने में पूरी मदद कर रहें है.


5 वर्षों में बांधे 2 हजार से अधिक परिंडे


ओमप्रकाश प्रजापत ने बताया कि विगत 5 वर्षों में वह 2 हजार से अधिक मिट्टी के परिंडे पक्षियों के लिए बांध चुके हैं और गर्मियों के मौसम में परिंडे बांधने का अभियान 1 महीने तक चलाया जाता है. इस साल भी अभियान के 20 दिन बीत चुके है और अब तक उनकी युवा टीम 300 परिंडे बांध चुकी है जिनमें प्रमुख स्थल कचरी वाले बालाजी मंदिर, शिवालय, वानीपुर धाम, खेड़ा खूंटी धाम, खारी बावड़ी, शनि मंदिर, लाडवन बालाजी, गणेश मंदिर, बगीची, बाग वाले बालाजी, अमृतसर बाबा मंदिर सहित मुख्य जगहों पर पेड़ो पर, उपखण्ड कार्यालय परिसर, एसडीएम आवास, पुलिस थाना खंडार, अनाज मंडी, विश्राम गृह, तहसील कार्यालय, रणथंभौर अभ्यारण्य की खंडार रेंज स्थित गिलाई सागर चेकपोस्ट पर परिंडे बांधे जा चुके है.


साथ ही घरों में महिलाओं को घरों में छायादार जगहों पर परिंडे बांधने के लिए निःशुल्क वितरण किये जा रहे है. परिंडे बांधने उनमें नियमित पानी भरने और पक्षियों के लिए दाना डालने के लिए स्थानीय लोगों को जिम्मेदारी दी जा रहीं है. जिससे बेजुबानों पक्षियों को गर्मी में भूख-प्यास से अपनी जान नही गवानी पड़े इसके साथ ही पशुओं के लिए भी जगह जगह पानी के खेड़ तैयार कर उनमें पानी भरा जा रहा है.


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