Sawaimadhopur: सवाईमाधोपुर के बामनवास में सीएचसी का कार्यक्षेत्र ही भौतिक परिस्थितियों का शिकार हो जाए तो आम जनता को धरती के भगवान की सेवाओं का लाभ कैसे मिल सकेगा.


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आज हम बात कर रहे हैं बामनवास नगरपालिका मुख्यालय के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की.दरअसल बामनवास सीएचसी पर ड्रेनेज सिस्टम बेहद घटिया स्तर का होने व अस्पताल भवन मुख्य सड़क से नीचा होने के कारण अस्पताल परिसर में बारिश का पानी भर जाने से स्थानीय मरीजों व चिकित्सकों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.


कल बामनवास तहसील कार्यालय पर 100 एमएम बारिश दर्ज की गई थी.उसके बाद आलम यह है कि सीएचसी के मुख्य गेट,टीकाकरण कक्ष,आउटडोर रूम,मेडिसिन स्टोर सहित कई कमरों में 1 फीट से अधिक तक पानी भरा हुआ है. अस्पताल परिसर में टीकाकरण बॉक्स तैरते हुए दिखाई दे रहे हैं.वहीं, दवाएं तैरती हुई नजर आ रही हैं.जलभराव इस कदर है कि अस्पताल में आने वाले मरीजों को खासी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.


यहां तक कि चिकित्सकों को भी पानी में होकर ही आउटडोर कक्ष में जाना पड़ता है.ऐसे में चिकित्सकीय परामर्श व टीकाकरण जैसी अति आवश्यक सेवाएं प्रभावित हो रही है.


तहसीलदार बृजेश मीणा के मुताबिक ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त करने को लेकर पूर्व में कई बार प्रयास किए गए.लेकिन स्थानीय लोग नालियां खोदने का विरोध करते हैं.मसलन आवश्यक ड्रेनेज सिस्टम तैयार नहीं हो सका.भाजयुमो नेता मनीष बामनवास ने बताया कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि विकास का दावा तो करते हैं, लेकिन अस्पताल जैसी संवेदनशील इमारतों के प्रति असंवेदनशीलता स्पष्ट नजर आ रही है.


अस्पताल परिसर में जलभराव होने के कारण चिकित्सकीय सेवाएं बद से बदतर हो रही हैं.वहीं, अस्पताल में बिजली आपूर्ति व्यवस्था भी औसत है.हिंदू सनातन मंच के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री बुद्धि पंडित ने बताया कि पूर्व में कई बार शिकायतें की जा चुकी है, लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधि व प्रशासन मामले में संज्ञान नहीं ले रहा है.


मसलन लंबे समय से बारिश के दौरान अस्पताल परिसर में जलभराव की समस्या स्थाई समस्या का रूप लेती जा रही है. पंडित ने बताया कि रनिंग मानसून सत्र में यदि समस्या का समाधान नहीं हुआ तो आम जनता की ओर से उग्र आंदोलन किया जाएगा.


बीसीएमओ डॉ. नंदकिशोर बोहरा के मुताबिक बामनवास का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र काफी पुराना है, वहीं वर्तमान में सड़क की ऊंचाई अधिक है और अस्पताल परिसर सड़क से काफी नीचे हैं.


ऐसे में जलभराव की समस्या का समाधान धरातल पर असंभव सा प्रतीत होता है.हालांकि पानी की मोटर लगाकर व बाल्टियों द्वारा पानी की निकासी के वैकल्पिक इंतजाम किए जाते हैं.लेकिन जब तक सीएचसी का नया भवन ना बने अथवा अस्पताल परिसर की फर्श ऊंची ना हो तब तक समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो सकता.


एक और जहां अस्पताल का भवन जर्जर हालत में है और काफी पुराना है साथ ही भवन मुख्य सड़क से काफी नीचे स्थित है बावजूद इसके कि अस्पताल परिसर के ग्राउंड फ्लोर की फर्श को ऊंचा किया जाए,


विभाग द्वारा फर्स्ट फ्लोर पर हॉल का निर्माण कार्य करवाया जा रहा है.जो कि बुद्धिमता का अकुशल प्रदर्शन कहा जा सकता है.ऐसे में विभाग को चाहिए कि सबसे पहले ग्राउंड फ्लोर की आवश्यक मरम्मत की जाए. उसके बाद ही फर्स्ट फ्लोर का निर्माण कार्य करवाया जाए.ताकि अस्पताल जैसी संवेदनशील इमारतों को दीर्घकालिक संरक्षण मिल सके.


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