Khatu Shyam Ji: राजस्थान के खाटू गांव में बाबा श्याम का भव्य मंदिर स्थित है. बाबा श्याम की कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है. श्याम बाबा तीन बाण धारी कहलाते हैं क्योंकि ऐसा कहा जाता है बाबा एक ऐसे योद्धा थे, जो केवल तीन बाण से पूरे युद्ध पर जीत पा सकते थे. 


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ऐसे में लोगों के मन में सवाल आता है कि कुरुक्षेत्र से खाटू श्याम जी का शीश राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव कैसे पहुंचा. इसी के चलते आज हम आपको बताएंगे कि बाबा का शीश पानी में बहाने के बाद खाटू गांव में कैसे मिला? 



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पौराणिक कथा के मुताबिक, बर्बरीक यानी खाटू श्याम घटोत्कच के बेटे और भीम के पोते थे. बर्बरीक महाभारत के युद्ध में हिस्सा लेना चाहते थे. इसको लेकर उनकी मां ने बर्बरीक से कहा कि तुम युद्ध में हारे का सहारा बनना. ऐसे में श्री कृष्ण जानते थे कि यदि बर्बरीक कौरव सेना को हारता हुए देख उनका साथ देगा, तो युद्ध में कौरवों की जीत होगी. 



वहीं, भगवान कृष्ण ने बर्बरीक का शीश दान में मांग लिया, जिस पर बर्बरीक ने खुशी-खुशी अपना शीश श्री कृष्ण के चरणों में अर्पित कर दिया, जिससे भगवान कृष्ण खुश हुए और उन्होंने बर्बरीक के शीश को आशीर्वाद देते हुए रूपावती नदी में बहा दिया. 



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कहा जाता है कि कलयुग शुरू होने के बाद बर्बरीक का शीश सीकर के खाटू गांव में दफन मिला था. वहीं, जब एक गाय इस रास्ते से जा रही थी तो वहां उसके थनों से अपने आप दूध बहने लगा. यह देख सभी लोग चौंक गए और उन्होंने उस स्थान को खुदवा डाला. यहां पर बर्बरीक का शीश मिला. 



वहीं, दूसरी तरफ खाटू गांव के राजा रूप सिंह को सपना आया, जिसमें उनको भगवान श्रीकृष्ण ने शीश स्थापित करके मंदिर बनवाने का आदेश दिया. इसके चलते राजा ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर शीश स्थापित किया और मंदिर बनवाया. कहते है कि जहां श्याम कुंड है, उसी जगह पर बाबा का शीश मिला था.