Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti: नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम बड़े शिद्दत से आजादी के नायकों में लिया जाता है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपनी एक सेना आजाद हिंद फौज के नाम से बनाई. राजस्थान के सीकर जिले से  नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाता रहा है.


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नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने राजस्थान के सीकर जिले के लिए अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.  नेताजी सुभाष चंद्र बोस उस जामने में सीकरवासियों के लिए संकटमोचन बने थे. उन्होंने अपनी समझदारी से सीकरवासियों के लिए एक बड़ी मध्यस्तथा करवाई.


इतिहासकारों की माने तो सीकर ठिकाना आजादी से पहले जयपुर रियासत के अधीन था. सीकर शहर के चारों तरफ तोप आज से करीब 80 साल पहले तैनात कर दी गई. जिसके बाद वहां के लोग भय के साए में थे. जयपुर के महाराज सवाई मानसिंह ने  1938 में सीकर पर पूरी तरह कब्जा करने का प्रयास किया था.


इतिहासकार बताते है कि जयपुर के महाराज सवाईमानसिंह सीकर के 16 साल के युवराज हरदयाल सिंह के इग्लैण्ड अपने साथ ले जाना चाहते थे. सीकर के राजा कल्याण सिंह इस बात के लिए तैयार नहीं थे. इसी के चलते दोनों ठिकानों में 1938 अप्रैल से लेकर जुलाई तक संघर्ष चला. इस संघर्ष में 50 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. साथ ही सीकर के राजा कल्याण सिंह को निर्वासित कर दिया गया.


राजस्थान एजीजी को अपनी मांगों के लिए  सीकर के 40 हजार लोगों ने ज्ञापन भी सौंपे थे. हालांकि उस समय कांग्रेस किसी भी रियासतों के मामले में दखल नहीं देना चाहती थी. इस बीच नेता जी सुभाष चंद्र बोस आगे आए.  कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अध्यक्षता में आयोजित हुई और एक प्रस्ताव पारित हुआ. 25 जुलाई 1938 को दोनों ठिकानों के बीच मध्यस्थता हुई.5 जुलाई 1943 को राव राजा कल्याण सिंह को दोबारा उनका अधिकार मिला.ये सुभाष चंद्र बोस के व्यक्तित्व का ही असर था कि सीकर को उसका अधिकार मिला.


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