Sikar News: रेवासा पीठाधीश्वर राघवाचार्य जी महाराज के निधन के बाद शोक की लहर, हृदय गति रुकने से थमी सांसे
वैदिक शिक्षा के लिए विख्यात सीकर के रेवासा धाम के पीठाधीश्वर राघवाचार्य महाराज का आज असामयिक निधन हो गया. राघव आचार्य महाराज का हृदय गति रुकने से सुबह निधन हो गया.
Sikar News: वैदिक शिक्षा के लिए विख्यात सीकर के रेवासा धाम के पीठाधीश्वर राघवाचार्य महाराज का आज असामयिक निधन हो गया. राघव आचार्य महाराज का हृदय गति रुकने से सुबह निधन हो गया. उनके निधन के बाद शेखावाटी इलाके सहित पूरे प्रदेश में शोक की लहर छा गई है.
आचार्य महाराज का पार्थिव शरीर
अंतिम दर्शन के लिए राघव आचार्य महाराज का पार्थिव देहा रेवासा धाम में रखा गया है. राघव आचार्य महाराज के निधन के समाचार के बाद काफी संख्या में साधु संत रेवासा धाम पहुंच गए हैं. विधायक बालमुकुंद आचार्य भी रेवासा धाम पहुंचे और राघव आचार्य महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की. रेवासा धाम वैदिक शिक्षा के रूप में जाना जाता है और राघव आचार्य महाराज ने हजारों शिष्यों को वैदिक शिक्षा दी है.
उत्तर प्रदेश में जन्में थे राघव आचार्य महाराज
राघव आचार्य महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के वीर खेड़ा गांव में 8 सितंबर 1952 को हुआ था. उन्होंने श्री राम संस्कृत महाविद्यालय जानकी कुंड चित्रकूट उत्तर प्रदेश में संस्कृत व्याकरण का प्रारंभिक अध्ययन किया. 1970 से 1981 तक वाराणसी में वेदांत विषय का अध्ययन किया. इसके बाद 1981 में वेदांत विभाग में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर संपूर्ण आनंद विश्वविद्यालय वाराणसी में स्वर्ण पदक भी हासिल किया था. 1981 में भारतीय संस्कृति वाकपटुता प्रतियोगिता में वेदांत विषय में अखिल भारतीय स्वर्ण पदक भी राघव आचार्य महाराज ने हासिल किया था.
1983 में जगतगुरु श्री शंकराचार्य महाराज के अगर पीठाधीश रेवासा धाम से विराट शिक्षा ग्रहण की 25 फरवरी 1984 को रेवासा पीठ के पीठाधीश के पद पर उन्हें सुशोभित किया गया, उन्होंने वेद अध्ययन की परंपरा को पुनर्जीवित किया और रेवासा पीठ में वेद विद्यालय एवं संस्कृत विद्यालय की स्थापना की और वैदिक शिक्षा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. उन्होंने गोवंश को स्वावलंबी बनाने के लिए उन्होंने एक बड़ी गौशाला की स्थापना करी और गो उत्पादों का निर्माण शुरू किया साथ ही उन्होंने विश्व हिंदू परिषद में केंद्रीय मार्गदर्शन मंडल में सदस्य एवं विश्व हिंदू परिषद में राम जन्मभूमि उचधिकार समिति सदस्य के दायित्व का निर्वहन किया.
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में राजस्थान संस्कृत अकादमी के अध्यक्ष पद के दायित्व का निर्वहन करते हुए पूरे प्रदेश में वेद आश्रमों की स्थापना की आज राजस्थान में 1000 के लगभग वेद आश्रम चल रहे हैं. आज रेवासा पीठ से अध्ययन किए हुए दो दर्जन से अधिक छात्र भारतीय सेवा में धर्मगुरु के रूप में सेवाएं दे रहे हैं. राघवाचार्य जी महाराज ने अपने जीवन काल में भारतीय संस्कृति को जीवित रखने के लिए अद्भुत दायित्व का निर्वहन किया था.
रेवासा धाम के अग्रपीठाधीश्वर स्वामी राघवाचार्य जी महाराज का रेवासा मंदिर के पास ही स्थित बावड़ी प्रांगण में अंतिम संस्कार किया जाने की सूचना है. हालांकि अभी तय नहीं हुआ है. अंतिम संस्कार बड़ी संख्या में संत- महात्मा, महापुरुष, महामंडलेश्वर सहित उनके अनुयायी और आसपास के इलाके के लोग साधू संत शामिल होंगे। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी श्रद्धांजलि देते हुए आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है.
स्वामी राघवाचार्य जी महाराज सीकर जिले के नजदीकी रेवासा गांव स्थित प्राचीन श्री जानकीनाथ बड़ा मंदिर के अग्रपीठाधीश्वर थे। मंदिर का निर्माण 1570 में हुआ था और यह सबसे प्राचीन पीठ भी मानी जाती है. वैष्णव संप्रदाय में 37 में से 12 आचार्य पीठ इसी गद्दी से निकली हुई है. इस जगह से ही अग्रदेवाचार्य महाराज ने विवाह व होली के पद बनाए थे. जिन्हें आज भी जनकपुर तक गया जाता है. रेवासा धाम में हजारों विद्यार्थियों को गुरुकुल में वैदिक शिक्षा उपलब्ध करवाई जाती है.
राम जन्मभूमि आंदोलन में भी रही है अहम भूमिका
रेवासा धाम के अग्रपीठाधीश्वर स्वामी राघवाचार्य जी महाराज भगवान श्री राम के परम भक्त थे. महाराज श्री ने भी राम जन्मभूमि आंदोलन में अपनी अहम भूमिका निभाई थी. महाराज भी राम जन्मभूमि आंदोलन के समय कार सेवकों के जत्थे को लेकर जयपुर से मरुधर एक्सप्रेस से रवाना हुए थे. जत्थे को पुलिस ने रास्ते में ही पकड़ लिया और आगरा की सेंट्रल जेल भेज दिया. जत्थे में कई विधायक भी शामिल थे. जयपुर से रवाना हुए जत्थे के साथ ही जोधपुर से रवाना हुए जत्थे को भी पकड़ा गया था.
ऐसे में जेल भर गई और समय व्यतीत भी मुश्किल से होता जा रहा था. जेल में रखे गए लोगों का समय कैसे कटे इसके लिए रेवासा धाम के पीठाधीश्वर राघवाचार्यजी महाराज सहित अन्य साधु संतों का दिन में प्रवचन होता था और शाम को भजन संध्या होती थी, जिसको सभी लोग बड़ी उत्सुकता से सुनते थे. 9 दिन तक जत्थे में शामिल लोगों को जेल में रखा गया फिर राजस्थान बॉर्डर पर जंगल में छोड़ दिया गया. बॉर्डर से सभी भरतपुर पहुंचे और वहां से कानपुर. आंदोलन में कई कार्यकर्ताओं को पकड़ा गया और पुलिस ने गोलियां भी चलाई, लेकिन सभी राम भक्त डटे रहे. राम भक्त और कार्यकर्ताओं की बदौलत ही आज राम मंदिर का भव्य निर्माण किया गया है.
अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन में रेवासा धाम से भेजी थी चांदी की ईट
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन के लिए रेवासा धाम के जानकीनाथ बड़ा मंदिर से राघवाचार्य जी महाराज ने चांदी की ईट अयोध्या भेजी थी और पीठाधीश्वर स्वामी राघवाचार्य जी महाराज भी भूमि पूजन में शामिल हुए थे. राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन में लगाई गई चांदी की ईंट पर 11 लाख राम नाम लिखे हुए थे.
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