Rajasthan Politics: सीकर जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक आज जिला परिषद सभागार में जिला प्रमुख गायत्री कंवर की अध्यक्षता में शुरू हुई. बैठक शुरू होने के साथ ही विपक्ष के कांग्रेस से सदस्यों ने उनके इलाके में बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित आमजन से जुड़े विकास कार्य नहीं करवाने के आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया.


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जिला परिषद में विपक्षी कांग्रेस सदस्य जयंत निठारवाल ने बजट को लेकर पक्ष और विपक्ष में भेदभाव करने के आरोप भी लगाए. वहीं वार्ड नंबर 29 की कांग्रेस की जिला परिषद सदस्या उर्मिला घायल ने सदन को संबोधित करते हुए कहा उनके क्षेत्र में पेयजल की बड़ी समस्या पिछले कई वर्षों से है लेकिन पिछले साढ़े तीन साल उनके क्षेत्र में एक भी ट्यूबवेल नहीं लगाया गया.



उन्होंने कहा इलाके की महिलाएं करीब 3 किलोमीटर दूर से सिर पर पानी का भरा मटका लेकर पानी की पूर्ति कर रही हैं. इलाके के लोगों को पिछले कई वर्षों से पानी की समस्या से जुझना पड़ रहा है.



जिला परिषद की बैठक में कांग्रेस के जिला परिषद सदस्यों ने जनहित के मुद्दों की सदन में सुनवाई नहीं होने का आरोप लगाते हुए जिला जिला प्रमुख गायत्री कंवर को अपना सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया. वहीं जिला प्रमुख ने गायत्री कंवर ने जिला परिषद में बजट नहीं आने का हवाला भी दिया लेकिन विपक्षी कांग्रेस सदस्यों ने सामूहिक इस्तीफा सौंपते हुए सदन की कार्रवाई का बहिष्कार कर दिया.



विपक्ष ने सामूहिक इस्तीफे देते हुए कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होगी तब तक वह जिला परिषद की बैठक का बहिष्कार करेंगे. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि एक ही विधानसभा में बजट दिया जा रहा है जबकि और अन्य विधानसभाओं के अनदेखी की जा रही है. इसी के साथ जिले में टूटी सड़क, बिगड़ती कानून व्यवस्था, पानी व चिकित्सा को लेकर विपक्ष ने हंगामा किया.



विपक्ष का कहना है कि 3 साल 6 माह में अब तक कोई विकास कार्य नहीं हुए हैं. केवल मात्र कागजों में खानापूर्ति की जा रही है. इसी को लेकर आज बैठक में हंगामा हुआ और एक दर्जन सामूहिक इस्तीफे के बाद विपक्ष ने जिला परिषद की बैठक का बहिष्कार कर दिया.



जिला परिषद सदस्य जयंत चौधरी ने बताया,'' आज जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक थी. हम सभी बैठक में आए. हमने जिला परिषद सीईओ को कहा कि पिछले साढ़े तीन साल  से बैठक में आ रहे हैं. अब तक जो हमारे विपक्ष के सदस्य हैं उनमें से एक भी सदस्य को अभी तक एक लाख रुपये का भी कोटा नहीं दिया गया है. दूसरी तरफ पिछले साढ़े तीन साल से जो मुद्दे हमने मीटिंग में उठाए थे उनमें से एक भी मुद्दे का समाधान नहीं किया गया. जिला परिषद की 6 महीने में एक मीटिंग करवाई जाती है. उन्होंने कहा बैठक में जो मुद्दे जिला परिषद सदस्यों की ओर से उठाए जाते हैं उसका जवाब अगली मीटिंग के दो-तीन दिन पहले अधिकारी लिखित में भेजते हैं.  मीटिंग में उठाए गए मुद्दे की जांच करने के लिए अधिकारी भी मौके पर नहीं पहुंचते. ''


 


उन्होंने  मांग उठाते हुए कहा कि जो भी मुद्दा बैठक में उठाया जाता है उसकी समय पर जांच हो. इस दौरान पिछली सरकार में मनरेगा में स्वीकृत कार्यों की स्वीकृति पर भी रोक लगाने के आरोप लगाए गए. उन्होंने पक्ष और विपक्ष में भेदभाव करने के आरोप भी लगाए.



जिला परिषद वार्ड नंबर 29 की सदस्य उर्मिला घायल ने आरोप लगाते हुए कहा,'' आम जनता ने जनता के मुद्दों को उठाने के लिए उन्हें चुनकर सदन में भेजा है. मैंने साढ़े तीन साल में कई बार मुद्दा उठाया कि मेरे इलाके में पीने के पानी की समस्या बनी हुई है. इलाके की महिलाएं तीन-तीन किलोमीटर दूर से सिर पर पानी का मटका लेकर आती है. पानी की समस्या को लेकर कई बार सदन में मांग उठाई गई. हर पंचायत में 10 ट्यूबवेल स्वीकृत किए जाने की मांग उठाई गई, लेकिन पिछले साढ़े तीन साल में मेरे इलाके में एक भी ट्यूबवेल नहीं लगाया गया.''  इसलिए जनहित के मुद्दों को लेकर आज कांग्रेस के जिला परिषद सदस्यों ने सामूहिक इस्तीफा सौंपा है.



सांसद अमराराम ने भी जिला परिषद के माध्यम से होने वाले विकास कार्यों के मसले पर कहा कि विकास कार्य रुक गए हैं. बजट आवंटित किए नहीं जा रहे इससे जनता परेशान है. कांग्रेस के सदस्यों के इस्तीफा के मसले पर उन्होंने कहा इससे बदतर स्थिति नहीं हो सकती कि विपक्ष के सदस्यों के इलाके में एक रुपए का काम नहीं किया गया. कुल मिलाकर विकास कार्य रुक गए हैं इससे जनता खासी परेशान है और जनता में खासी सरकार के प्रति नाराजगी है.