Raju Thehat murder case : राजू ठेहट ने कैसे बलवीर बानूड़ा के साथ मिलकर कारोबार किया. फिर बानूड़ा के साला की शराब कारोबार में मौत हुई तो बलवीर आनंदपाल से मिल गया. 2012 में बीकानेर जेल में राजू ठेहट ही इन दोनों को मारने के लिए हमला करवाता है. आनंदपाल बच जाता है लेकिन बानूड़ा मारा जाता है. इसके बाद 2017 में पुलिस एनकाउंटर में आनंदपाल की मौत भी हो गई. इस मौत के बाद आनंदपाल गैंग को लॉरेंस विश्नोई का साथ मिला. साथ मिला लेडी डॉन अनुराधा चौधरी का भी. लेकिन सवाल ये कि आखिर राजू ठेहट को मारने की प्लानिंग कैसे बनाई गई. 


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राजू ठेहट को मारने में लॉरेंस विश्नोई के करीबी रोहित गोदारा और लेडी डॉन के नाम से मशहूर अनुराधा चौधरी का हाथ बताया जाता है. रोहित ने कनाडा में बैठे बैठे ही इस वारदात को अंजाम दिया है. हत्या की इस प्लानिंग में 5 लोग पकड़े गए है. दो हरियाणा बॉर्डर के पास डाबला गांव और 3 को झुंझुनूं के पौंख गांव से पकड़ा है. पकड़े गए लोगों में विक्रम गुर्जर और मनीष जाट तो सीकर के ही रहने वाले है. तो वहीं जतिन मेघवाल और सतीश कुम्हार हरियाणा के भिवानी के रहने वाले है. इनका सबका नेतृत्व मनीष जाट कर रहा था. और मनीष लगातार रोहित गोदारा के संपर्क में था. मनीष और रोहित ने ही पूरी प्लानिंग बनाई.


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सबसे पहले राजू ठेहट की रेकी के लिए 2 लोगों को जिम्मेदारी दी गई. इसके लिए दो बदमाशों को कोचिंग के बहाने सीकर में एडमिशन दिया. 20-20 हजार की फीस भरी. किताब, बैग, ड्रेस सबकुछ खरीदा गया. जो दो बदमाश हॉस्टल में रह रहे थे. वो मनीष और विक्रम गुर्जर के संपर्क में रहते थे. मनीष ने शार्प शूटर के लिए पिस्टल और कारतूस की व्यवस्था भी की. रेकी में पता चला कि शनिवार के दिन राजू ठेहट के गनर ( गार्ड ) वहां नहीं है. इसीलिए शनिवार के दिन को चुना गया. बदमाशों ने शनिवार की सुबह मनीष और विक्रम को खबर भेज दी. कि राजू ठेहट बिना सिक्योरिटी के घर पर है.


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बदमाश राजू ठेहट के घर पहुंचे. इसके साथ साथ एक ट्रेक्टर भी वहां आकर रुकता है. बदमाशों ने हथियार इस ट्रेक्टर में रखे थे. राजू ठेहट को मारने के बाद बदमाश यहां खड़े ताराचंद से अल्टो कार छीनी. देने से मना किया तो उसको गोली मार दी. यहीं पर अपने मोबाइल तोड़ दिए ताकि पुलिस ट्रेस न कर पाए. बदमाशों का प्लान था कि हरियाणा के भिवानी की तरफ चले जाएंगे और वहीं पर फरारी काटेंगे. ताराचंद की कार लेकर वो पीपराली के नला का बालाजी तक गए. वहां क्रेटा गाड़ी के साथ विक्रम गुर्जर मिला. उस गाड़ी में बैठ सभी आगे बढ़े. पुलिस नाकाबंदी वजह से गांव ढ़ाणियों का रास्ता चुना. बबई में पुलिस पर फायरिंग कर आगे की तरफ भाग गए. पुलिस ने पीछा किया तो गाड़ी डाबला नदी में डाल दी लेकिन यहां गाड़ी का चैंबर टूट गया. उसके आगे पैदल ही भागे. तीनों शूटर गुढ़ागोड़जी की तरफ निकले तो वहीं मनीष और विक्रम नीमकाथाना निकले. पुलिस ने पहले मनीष और विक्रम को पकड़ा. फिर इनकी सूचना के आधार पर ही पहाड़ियों में छिपे बाकी लोगों को पकड़ा.