Jal Jeevan Mission Scam: जल जीवन मिशन के तहत एक और बड़े घोटाले का आरोप ग्रामीणों द्वारा लगाया गया है. ग्रामीणों ने इसके विरोध में वाटर वर्क्स के मुख्य गेट के बाहर ताला लगा दिया, साथ ही उप तहसील के बाहर भी विरोध प्रदर्शन किया. ग्रामीणों बताया कि इस योजना के तहत लगाए गए बोर्ड में 50 लाख रुपए का यहां कार्य पूर्ण बताया गया है . लेकिन यहां अभी कुछ भी कार्य शुरू भी नहीं हुआ है. लगाए गए बोर्ड में जल जीवन मिशन के तहत प्रशासन में वित्तीय स्वीकृति के साथ 22 फरवरी 2022 को कार्य शुरू तथा 8 सितंबर 2022 को कार्य पूरा होना बताया गया है.


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जांच जिला कलेक्टर से की गई
विरोध प्रदर्शन के दौरान ग्राम पंचायत 16पीएस के गांव 7 एमके 9 एमके में वाटर वर्कस सम्बन्धी निविदा घोटाले की जांच जिला कलेक्टर से की गई है . ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए विभाग के अधिकारी व प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे .वह ग्रामीणों से समझाइए की. ग्रामीणों ने बताया कि गत दिनों गांव 9 एमके वाटरवर्कस डिग्गी पर बने कमरे में एक बैनर जल जीवन मिशन का लगा हुआ पाया गया है . 


50 लाख रुपए बजट खर्च 
स्थानीय ग्रामीणों ने देखा तो पायाकि उक्त बैनर पर ग्रामीणों ने देखा कि उक्त बैनर पर जल जीवन मिशन के तहत कार्य शुरू व कार्य समाप्ति की तारीख अंकित है .तथा इसमें 50 लाख रुपए बजट खर्च होना भी बताया गया है .जबकि गांव मे. जल जीवन मिशन के तहत कुछ भी कार्य वाटर वर्क्स मे नहीं हुआ है. इस कार्य को लेकर  निर्माण एजेंसी जी. ए. इन्फा जयपुर एजेन्सी का नाम अंकित किया गया है. ग्रामीणो का कहना है कि इस पेयजल निविदा मे. भारी धोखा किया गया है. इस घोटाले की तुरन्त प्रभाव से जांच की मांग की गई है. इसके अलावा ग्रामीणों ने मांग की है कि पेयजल समस्याओं का हल तुरन्त प्रभाव से किया जाये.


पेयजल फिल्टर साफ नहीं होता 
 ग्रामीणों कहना है किवार्टर वर्कस से आम गाव लोगों के घरों मे पेयजल नही पहुंचता है . पानी समय पर उपलब्ध नहीं होता व पानी पेयजल एंव पानी समय पर उपलब्ध नहीं होता व पानी पेयजल फिल्टर साफ नहीं होता है पेयजल पीने लायक नहीं होता है. ग्रामीणों का आरोप है की वाटरवर्कस मे. पहुंचने वाली पानी की सफाई नहीं होती, जिससे गंदा पानी वाटरवर्कस की डिग्गी मे. जाता है .जिससे ग्रामीण पीने के लिए मजबूर है. 



ग्रामीणों ने चेतावनी दिए की 4 दिन के अंदर इस मामले में कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन तेज किया जाएगा. इस मामले मे. जलदाय विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कंपनी द्वारा जिओ ट्रैकिंग के लिए यह बोर्ड लगाया गया है. दूसरी और वही अभी कंपनी को भुगतान क्या हुआ है इसकी स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है. 


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