Sri Ganganagar: पिछले साल की दिवाली पर कोरोना का कहर छाया हुआ था. लगभग सभी त्योहारों पर रोक थी और लोग घरों में रहकर कोरोना प्रोटोकॉल की पालना कर रहे थे, लेकिन इस बार दिवाली पर कोरोना का साया नहीं है. 


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लोग इस बार धूमधाम से दिवाली मनाने को उत्सुक हैं. रोशनी के इस त्यौहार पर खूब आतिशबाजी होती है और पटाखे चलाये जाते हैं. पटाखों में भी फुलझड़ी का क्रेज हर उम्र के लोगों में देखने को मिलता है. जगमग रंग बिरंगी रौशनी की फुलझड़ी हर किसी को आकर्षित करती है. 


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जैसे जैसे दिवाली का त्योहार नजदीक आ रहा है, वैसे वैसे पटाखे बनाने का काम भी गति पकड़ रहा है. जहां एक तरफ मजदूरों को काम मिल रहा है तो वहीं पटाखा व्यापारी से लेकर आम जनता में उत्साह दिखाई दे रहा है. इस साल पटाखों के व्यवसाय में मुनाफे की अच्छी उम्मीद जगी है.


इस तरह बनती हैं फुलझड़ियां
दिवाली पर बच्चों से लेकनार महिलाओं और बुजुर्गों में भी फुलझड़िया का काफी क्रेज रहता है. इन फुलझड़ियों को बनाने में काफी मेहनत लगती है. पुरानी आबादी में संचालित एक पटाखा फैक्ट्री के संचालक का कहना है कि फुलझड़ी बनाने का कार्य दिवाली से करीब चार महीने पहले शुरू कर दिया जाता है. फुलझड़ी बनाने के लिए पहले लोहे की तारों को लकड़ी के सांचे में सेट कर लिया जाता है और उसके बाद केमिकल की कोटिंग की जाती है. एक फुलझड़ी पर तीन बार कोटिंग होती है. हर कोटिंग को सुखाया जाता है. केमिकल को सुखाने के लिए कूलर और धूप का सहारा लिया जाता है. इसके बाद फुलझड़ी की पैकिंग की जाती है और उसके बाद वह मार्केट में बिकने के लिए तैयार हो जाती है.


दृश्य ऐसा मानो हो रही है फुलझड़ी की खेती
जब फुलझड़ियों को सांचे में ढालकर कोटिंग होने के बाद सुखाया जाता है तो ऐसे लगता है जैसे फुलझड़ियों की खेती हो रही हो. फैक्ट्री के परिसर में दूर दूर तक फुलझड़िया चमकती हुई दिखती हैं.


पटाखा व्यवसाइयों को कारोबार अच्छा रहने की उम्मीद
जिले की बात करे तो पुरानी आबादी में फुलझड़ियां बनाने का काम जोरों से होता है. यहां कारीगर दिवाली के समय पर फुलझड़ियां बनाते हैं और इसकी सप्लाई बाहर भी की जाती है. कोरोना के बुरे दौर के बाद एक तरफ व्यवसायी दिवाली पर अच्छी मात्रा में आतिशबाजी की उम्मीद लगाए बैठे हैं तो वहीं अब पटाखे बनाने वाले कारीगरों को काम मिला है. उनकी दिवाली पिछले साल की तुलना में अच्छी रहने वाली है.


Reporter- Kuldeep Goyal