Rail Budget 2024: देश की सियासत को गर्म करने वाली 30 सालों से ज्यादा समय से राजस्थान की नवाबी नगरी टोंक को रेल से जोड़ने की मांग को केंद्र सरकार के अंतरिम बजट में हरी झंडी मिल गई है. रेलवे के अधिकारियों ने भी इसकी पुष्टि कर दी है. इसकी घोषणा की खबर जैसे ही टोंक शहर में पहुंची, तो शहर में ईद और दीवाली एक साथ मनाई गई. सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया जैसे ही शुक्रवार को टोंक पहुंचे तो देर शाम को शहर के घंटाघर चौराहे पर जोरदार जश्न मनाया गया. भाजपा जिलाध्यक्ष राजेंद्र पराना के नेतृत्व में सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया का पलक पांवड़े बिछाकर जोरदार स्वागत किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'गारंटी वाले नेता कौन नरेन्द्र मोदी' जैसे नारे शहर में गूंजने लगे. 


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दरअसल, राजस्थान में पिछले 30 सालों से यानी तीन दशक से ज्यादा समय से नगर निकाय के चुनावों से लेकर विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव यहां तक कि कई बार तो पंचायती राज चुनावों में भी टोंक जिले को रेल से जोड़ने का मुद्दा गर्मा जाता था और इस समस्या को लेकर कई संगठनों ने भी आवाज बुलंद की. इसमें सबसे ज्यादा आवाज मुखर करने वाला संगठन रेल लाओ संघर्ष समिति थी, जिसके अकबर खान ने लगातार अलग-अलग तरीके से रेल को लेकर आंदोलन किया, अभियान चलाया, कभी कांग्रेस सरकार में तो कभी भाजपा सरकार में, कभी भाजपा कांग्रेस पर आरोप लगाती, तो कभी कांग्रेस भाजपा पर. यू मानों की टोंक की रेल क्या हुई बच्चों का फूटबाल बन गई हो. 


अब जाकर भाजपा की डबल इंजन की सरकार ने दम दिखाया और अजमेर-नसीराबाद-टोंक-सवाई माधोपुर रूट पर रेलवे लाइन बिछाने सहित तमाम कार्यों के लिए 100 करोड़ रुपए से ज्यादा राशि के बजट की घोषणा गई है. वहीं, उत्तर पश्चिम रेलवे के अधिकारियों ने भी पत्र जारी कर इसकी पुष्टि कर दी है. इस खबर के टोंक में जश्न का माहौल है. घंटाघर चौराहे पर जोरदार आतिशबाजी कर, एक दूसरे को मिठाई खिलाकर कर लोगों ने सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया का धन्यवाद दिया. 


वहीं, सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने पहले भी 10 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की थी और अब 100 करोड़ की राशि और स्वीकृति दी है. पहले इसके सर्वे, अलायमेंट सहित अन्य काम हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि पिछले 5 सालों में कांग्रेस की सरकार ने कोई काम नहीं किया, जिसके चलते पूरा काम अटका हुआ था. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार बनी है. ऐसे में रेल मंत्री ने आज इसकी घोषणा कर दी है और जल्द ही इसका काम भी शुरू होगा.


आपको बता दें कि पूर्ववर्ती कांग्रेस की केंद्र सरकार ने दो भागों में इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का काम तय किया था, जिसमें जमीन का अधिग्रहण और आवंटन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की तय थी और रेलवे लाइन से लेकर रेल को पटरी पर दौड़ाने के लिए केन्द्र सरकार के रेलवे मंत्रालय की जिम्मेदारी थी. आधे-आधे के फेर के चलते पिछले 30 सालों से टोंक जिला मुख्यालय को रेल से जोड़ने की मांग सियासी मुद्दा बनता रहा है और आम आदमी इससे पीड़ित रहा है. ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि कितनी जल्द टोंक मुख्यालय पर रेल की आवाज सुनाई देंगी.


रिपोर्टर- पुरषोत्तम जोशी


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