उदयपुर में मिलावटखोरों पर कसेंगे नकेल, कलक्टर ने कहा- खाने के साथ दवा की होगी जांच
कलक्टर मीणा ने कहा कि उदयपुर वासियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें शुद्ध एवं पौष्टिक उत्पाद मिले और मिलावटखोरों पर सख्त कार्रवाई की जाए. आमजन की स्वास्थ्य सुरक्षा के दृष्टिगत चलाए जा रहे इस अभियान को समन्वित प्रयासों और सहयोग से सफल बनाने की आवश्यकता है. वहीं उन्होंने इस अभियान के लिए गठित जांच दल को मिलावटखोरों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए है.
Udaipur: जिले में रहने वाले लोगों को शुद्ध खाद्य पदार्थ उपलब्ध हो इसके लिए स्थानीय प्रशासन ने एक बार फिर कमर कस ली है. राज्य सरकार के निर्देशानुसार प्रशासन ने उदयपुर जिले में एक बार फिर से शुद्ध के लिए अभियान की शुरूआत की है. जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने अभियान की प्रभावी क्रियान्वित के लिए संबंधित विभागों की बैठक ली और अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान किए.
मिलावटखोरों पर सख्त कार्रवाई
कलक्टर मीणा ने कहा कि उदयपुर वासियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें शुद्ध एवं पौष्टिक उत्पाद मिले और मिलावटखोरों पर सख्त कार्रवाई की जाए. आमजन की स्वास्थ्य सुरक्षा के दृष्टिगत चलाए जा रहे इस अभियान को समन्वित प्रयासों और सहयोग से सफल बनाने की आवश्यकता है. वहीं उन्होंने इस अभियान के लिए गठित जांच दल को मिलावटखोरों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए है. कलक्टर ने बताया कि अभियान के तहत इस बार खाद्य एवं औषधि नियंत्रण विभाग के आदेशानुसार खाद्य प्रतिष्ठानों के साथ-साथ मेडिकल स्टोर पर भी नशीली एवं नकली दवाओं की जांच की जाएगी.
सीएमएचओ डॉ दिनेश खराड़ी ने बताया कि 10 जून से शुरू होने वाले इस अभियान के अंतर्गत राज्य सरकार की ओर से जारी आदेशों के अनुसार फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006, ड्रग एवं कॉस्मेटिक एक्ट 1940, तथा ड्रग एवं मैजिक रेमेडी एक्ट 1954 के तहत कार्रवाई की जाएगी. अभियान के सफल संचालन के लिए जिले के हर उपखंड स्तर पर एक टीम गठित की गई है. जिसमें खाद्य सुरक्षा अधिकारी के अलावा पुलिस उप अधीक्षकप, विधि माप विज्ञान अधिकारी, सहायक औषधि नियंत्रक, डेयरी प्रतिनिधि भी शामिल होंगे. टीम का प्रतिनिधित्व उपखंड अधिकारी, खंड विकास अधिकारी, तहसीलदार के द्वारा किया जाएगा.
नशीली और नकली दवाओं की बिक्री रोकने के लिए मेडिकल स्टोर का निरीक्षण
बैठक में बताया कि इस अभियान के तहत विभिन्न विभागों की संयुक्त टीम में खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा दूध, मावा, पनीर व दुग्ध उत्पादों, आटा, बेसन, खाद्य तेल, घी, सूखे मेवे और मसालों इत्यादि की जांच की जाएगी. वहीं विधि माप विज्ञान अधिकारी द्वारा प्रतिष्ठानों पर बाट एवं माप की जांच की जाएगी. टीम में शामिल सहायक औषधि नियंत्रक द्वारा नशीली और नकली दवाओं की बिक्री रोकने के लिए चिन्हित मेडिकल स्टोर के निरीक्षण के साथ-साथ नकली और अवमानक दवाओं के संदिग्ध मेडिकल स्टोर की जांच और नमूने लेना, आपत्तिजनक विज्ञापन और चमत्कारी औषधियों के प्रकरण के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई के लिए एफआईआर दर्ज करवाने, नशीली और नकली दवा पाए जाने पर लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा पुलिस विभाग द्वारा इन मामलों में कानूनी कार्रवाई के साथ साथ डिकॉय ऑपरेशन में भी सहयोग किया जाएगा.
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मिलावटी खाद्य सामग्री के मामलों का 90 दिन में होगा निस्तारण
डॉ खराड़ी ने बताया कि खाद्य पदार्थों में मिलावट की रोकथाम के लिए मिलावटी खाद्य सामग्री के मामलों का निस्तारण राज्य सरकार के आदेशों के अनुसार 90 दिन की अवधि में किया जाएगा. खाद्य एवं औषधि नियंत्रण विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार खाद्य पदार्थों के सब स्टैण्डर्ड, मिस ब्रॉड और अनसेफ के प्रकरणों की आवश्यक जांच के बाद चालान एडीएम न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा. ऐसे प्रकरणों की एडीएम न्यायालय द्वारा सप्ताह में एक बार सुनवाई करते हुए 90 दिवस के भीतर उसका निस्तारण किया जाएगा.
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