Udaipur: कांग्रेस ने अपने चिंतन शिविर के दूसरे दिन पार्टी संगठन में एससी/एसटी और ओबीसी के लिए 50 फीसदी आरक्षण देने की योजना पर विचार किया है. यानी संगठन में इन सभी वर्गों का ब्लॉक लेवल से सीडब्ल्यूसी तक 50 फीसदी कोटा होगा. 


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पार्टी नेता के राजू ने बताया कि पार्टी में कमजोर वर्गों के लिए हर छह महीने में एक बार संगठन की तरफ से कार्यसमिति का विशेष सत्र बुलाए जानें पर भी फैसला हुआ है और सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण के लिए संगठनात्मक सुधार पेश किए जाएंगे. 


राजू ने कहा कि 2024 के आम चुनावों को पार्टी का यह बड़ा कदम होगा. के राजू के मुताबिक, राष्ट्रीय स्तर पर जाति आधारित जनगणना की जाए और एससी, एसटी और ओबीसी को निजी क्षेत्र में भी आरक्षण का लाभ मिल सके. साथ हीं, महिला आरक्षण विधेयक में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए अलग प्रावधान हो. 


सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण को लेकर भी है कमेटी के चेयरमैन सलमान खुर्शीद ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण को लेकर पहली बार ऐसा हो रहा है कि एआईसीसी के चार प्रमुख विभाग को इकट्ठा कर उनके सुझाव लिए हैं. हमारा प्रयास है सिर्फ 2024 आगे के लिए नहीं, कांग्रेस को मजबूत करने का प्रयास होगा, जो पैनल डिस्कशन में उसमें बहुत दूरगामी मुद्दों पर चर्चा की गई. रोजगार भागीदारी विश्वास आवाज को पर जरूरतमंद आवाज ऊपर तक पहुंचे.


कांग्रेस के नव संकल्प शिविर के दूसरे दिन चर्चा के दौरान सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण पैनल का डिस्कशन हुआ. पैनल डिस्कशन के दौरान करीब 70 लोगों के सुझाव आए, जिसमें खासतौर से एससी/एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक और महिलाओं के सशक्तिकरण के सुझाव आए हैं. 


ओबीसी एससी-एसटी माइनॉरिटी वर्क के लिए अलग से जिलों से लेकर ऊपर तक विशेष सेशन करवा कर संगठन की भागीदारी बढ़ाई जाएगी. जाति आधारित जनगणना करवाने के पक्ष में खुर्शीद ने कहा कि जाति आधारित जनगणना करवाने के पक्ष में सुझाव आया है. एससी-एसटी, ओबीसी के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने की मांग विधानसभा और संसद एससी एसटी ओबीसी और महिलाओं के लिए कोटा बढ़ाने का सुझाव. 


कुमारी शैलजा ने कहा कि ट्रांसजेंडर के बारे में भी बात होनी चाहिए. इस विषय पर भी सुझाव आया है. महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए खास फोकस रहेगा. 
विधानसभा और संसद में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण पूरी तरह लागू करने ज्यादा फोकस रहेगा. महिला आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस के स्टैंड में आया बदलाव. चिंतन शिविर में quota within quota मामले पर बनी सहमति. 


UPA सरकार के दौरान कांग्रेस पार्टी ने ही संसद और विधानसभाओं में 33 फीसदी महिला आरक्षण के लिए तैयार थी. बकायदा इसके लिए बिल भी संसद में लाया गया था, लेकिन quota within quota के लिए कांग्रेस तैयार नहीं थी. अब कांग्रेसी का स्टैंड बदल गया है. 


उस समय कांग्रेस के सहयोगी दल राजद और सपा 33 फीसदी महीला आरक्षण में SC/ST और OBC रिजर्वेशन के लिए तैयार नहीं थी, जिसके कारण ये बिल संसद से पास नहीं हो पाया था. यहां तक कि राजद और सपा के सांसदों ने बिल के विरोध में बिल की कॉपी को ही फाड़ दिया था, लेकिन अब कांग्रेस पार्टी quota within quota के लिए तैयार हो गई है. 


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