Udaipur: राजस्थान के उदयपुर में हुआ हत्याकांड किसी आतंकी हमले से कम नहीं है. इस हत्याकांड को ठीक वैसे ही अंजाम दिया गया है, जैसे आतंकी आकाओं के हुक्म पर लोगों में दहशत पैदा करने की साजिश की गई हो.


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उदयपुर में कन्हैयालाल की तालिबानी अंदाज में गला रेतकर हत्या की गई है. दोनों आरोपी पुलिस की गिरफ्त में है और अब मामले की जांच NIA कर रही है और अब हर दिन इन दोनों आरोपियों के आतंकी तार के खुलासे हो रहे हैं. 


सूत्रों से जानकारी मिली है कि राजस्थान के उदयपुर में कन्हैयालाल हत्याकांड के मुख्य आरोपी मोहम्मद रियाज अत्तारी के तार अलसूफा से जुड़े हैं. यह संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के रिमोट स्लीपर सेल के तौर पर काम करता है. गिरफ्तार आरोपी रियाज 5 साल से अलसूफा के लिए उदयपुर और उसके आसपास के जिलों में काम कर रहा था. पहले वह मुजीब के अंडर काम करता था. राजस्थान पुलिस के डीजीपी बुधवार को ये साफ कर चुके हैं कि उदयपुर हत्याकांड का आरोपियों में से एक गौस मोहम्मद साल 2014 में पाकिस्तान गया था और दावत ए इस्लामी संगठन से उसका संबंध है.


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NIA सूत्रों के हवाले से मिली बड़ी खबर
NIA सूत्रों के हवाले से अब ख़बर मिली है कि उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या का मामले के दोनों आरोपियों को जल्द ही दिल्ली लाएगी और NIA दिल्ल्ली में उनसे पूछताछ करेगी. NIA आरोपियों के पास से मिले मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को फोरेंसिक जाँच के लिए भेजेगी. जांच एजेंसियों को शक है कि आरोपियों ने हत्या को अंजाम देने के लिए ISIS के वीडियोज़ देखे थे. NIA की टीम दोनों आरोपियों के सोशल मीडिया पोस्ट और चैटिंग के डिटेल हासिल करने के लिए साइबर और फोरेंसिक टीम से मदद ले रही है. हत्या के आरोपी रियाज और मोहम्मद गौस के संबंध पाकिस्तान बेस्ड इस्लामिक संस्था दावते ए इस्लाम से है. सूत्रों के मुताबिक NIA इन दोनों आरोपियों और दावते इस्लामी से जुड़े दूसरे लोगों के लिंक को खंगालने में जुटी.


आरोपियों का राजस्थान - मध्यप्रदेश टेरर मॉड्यूल से कनेक्शन
30 मार्च को राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के निम्बाहेड़ा में पुलिस ने 3 आतंकियों से 12 किलो विस्फोटक बरामद किया था. तब ये बात सामने आयी थी कि कुछ आतंकी पैरोकारों के आदेश पर जयपुर और अन्य जगह सीरियल ब्लास्ट की साजिश थी. टोंक निवासी मुजीब इसी मामले में जेल में बंद है, जिसके साथ उदयपुर घटना के हत्यारों के संपर्क बताये जा रहे हैं. दूसरे आतंकी गौस मोहम्मद को रियाज ने कुछ महीने पहले टीम में शामिल किया था. गौस 2014 में ट्रेनिंग लेने के लिए जोधपुर के रास्ते कराची गया था. तब भारत से 30 लोग कराची गए थे, जिन्होंने पाकिस्तानी संगठन दावत-ए-इस्लामी से जुड़कर 40-45 दिन ट्रेनिंग ली. लौटने के बाद गौस धर्म के नाम पर युवाओं का ब्रेनवाश कर रहा था. गौस और रियाज के मोबाइल की जांच में कई देशों के नंबर मिले हैं, जिनमें से पाक के दो लोगों से ये लगातार संपर्क में थे. मामले की जांच एनआईए को दी गई है. पूछताछ के बाद 4 और लोगों को हिरासत में लिया है. कई चिह्नित भी किए हैं.


तीन आतंकियों को भी गिरफ्तार किया 
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में पुलिस ने 30 मार्च को आतंकियों के मंसूबों को नाकाम करते हुए 12 किलो विस्फोटक सामग्री जब्त की थी. साथ ही तीन आतंकियों को भी गिरफ्तार किया था. पुलिस की पूछताछ में पता चला था कि तीनों आतंकियों के तार कट्टरपंथी संगठन अल ‘सूफा’ से जुड़े हैं. अलसूफा का सरगना इमरान ही इस साजिश का मास्टर माइंड बताया जा रहा था. अलसूफा के सरगना इमरान के कहने पर ही जयपुर में 3 जगह ब्लास्ट होने वाले थे. इससे पहले ही पुलिस ने तीनों आतंकियों को पकड़कर आतंकी मंसूबों पर पानी फेर दिया. बता दें कि अलसूफा की दहशत की साजिश और तरीका ठीक वैसा ही था. जैसा 14 साल पहले जयपुर समेत कई शहरों में सीरियल ब्लास्ट में इंडियन मुजाहिद्दीन ने अपनाया था. आंतकियों की इस साजिश के पर्दाफाश ने फिर 2008 के जयपुर बम धमाकों की याद दिला दी थी.


निबाहेड़ा में बम तैयार कर सीधे जयपुर पहुंचे
अलसूफा के सरगना इमरान ने इस साजिश को अंजाम देने के लिए अपने सहयोगी अमीन को इसका काम सौंपा था. इमरान ने अपने पोल्ट्री फार्म में जेहादी ट्रेनिंग और बम बनाने की ट्रेनिंग के बाद तीन आंतकियों अल्तममश जुबैर और सैफउल्ला को रतलाम से जयपुर के लिए रवाना किया. इन आतंकियों के पास एक कार में 12 किलो विस्फोटक मौजूद था. जानकारी के मुताबिक ये विस्फोटक चार थैलियों में पैक थे. दो थैलियों में सिल्वर रंग के विस्फोटक थे और दो में दानेदार भूरे रंग के विस्फोटक भरे थे. साथ में तीन टाइमर कनेक्टर समेत बम बनाने की पूरी सामग्री भी आरोपियों के पास से जब्त की गई थी. तीनों से कोरिडनेट करने का काम आमीन को सौंपा गया था. तीनों को निर्देश थे कि वे निबाहेड़ा में बम तैयार कर सीधे जयपुर पहुंचे. जयपुर से दस किलोमीटर पहले एक ब्रिज के नीचे इस जखीरे को जमीन के नीचे गड्डा खोदकर छिपाना था. फिर इसकी तस्वीरें और विडियो व्हाट्सएप से आमीन को मोबाइल पर भेजने थे. इतना काम करने के बाद उनका काम खत्म हो जाता. 


धमाकों की साजिश नाकाम हो गई
पकड़े गए इन तीनों आंतकियों से अब तक की पूछताछ में सामने आया कि इनको नहीं पता था कि ये बमों का जखीरा आगे कौन से आतंकी यहां से ले जाएंगे. ये सिर्फ इमरान को पता था कि आगे इन बमों को कौन ले जाएगा लेकिन जयपुर पहुंचने से पहले विस्फोटकों का जखीरा पकड़ा जाने से धमाकों की साजिश नाकाम हो गई लेकिन अब तक की जांच में सामने आया कि साजिश का प्लान कमोबेश वैसा था जैसा 14 साल पहले इंडियन मुजाहीद्दीन ने अपनाया था. आईएम ने 2008 में जयपुर सीरियल धमाकों से देश में आंतक की नई दहशत खड़ी कर दी थी. आईम का मकसद था एक साथ कई धमाके कर अधिक जानें लेना. इसके लिए धमाकों में अमोनियम नाईट्रेट का इस्तेमाल किया गया था. तब अमोनियम नाईट्रेट के बम धमाकों में इस्तेमाल की शुरुआत हुई थी.


उदयपुर में गाइड का काम करता था मुजीब 
मूल रूप से टोंक का रहने वाला मुजीब लंबे समय से उदयपुर में गाइड का काम करता था. उसी ने इलाके में अलसूफा का नेटवर्क खड़ा किया. रियाज उसका सबसे खास शार्गिद था. मुजीब की गिरफ्तारी के बाद वो भी एएनआई के रडार पर था. जांच के दोनों के अक्सर मिलने और मोबाइल पर लंबी बातचीत के सबूत मिले हैं. एएनआई उसे दबोचने की तैयारी कर ही रही थी कि उसने जघन्य हत्याकांड को अंजाम दे दिया.अलसूफा संगठन का गठन 2012 में एमपी के रतलाम में हुआ. 


एनआईए ने 2015 में सरगना असजद सहित छह लोगों को हिरासत में भी लिया था. 2017 में रतलाम के तरुण सांखला हत्याकांड में जुबेर व अल्तमस सहित 8 लोगों की गिरफ्तारी के बाद संगठन की कमर टूट गई, लेकिन इस साल यह फिर से सक्रिय हो गया. जयपुर में सीरियल ब्लास्ट करने के लिए रतलाम से 12 किलो विस्फोटक इसी संगठन ने भेजा था. इसी मुजीब के सीधे संपर्क में उदयपुर हत्याकांड के आरोपी बताये जा रहे है और संभवतः राजस्थान को दहलाने की साजिश इन्ही स्लीपर सेल के जरिये रची गई थी.


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