उदयुपर में 24 किलो गोल्ड लूटकांड में निकला बिहार कनेक्शन, 2 शातिर लुटेरे गिरफ्तार, दो महीने पहले जयपुर में हुई थी लूट
Udaipur 24 kg Gold Robbery: उदयुपर के प्रतापनगर थाना इलाके में 29 अगस्त को मणप्पुरम गोल्ड लोन आफिस में हुई करीब 24 किलो सोने के लूट के मामले का पुलिस ने खुलासा कर दिया. दो महीने बाद पुलिस ने लूट की वारदात में शामिल दो शातिर बदमशों को गिरफ्तार किया.
Udaipur 24 kg Gold Robbery: उदयुपर के प्रतापनगर थाना इलाके में 29 अगस्त को मणप्पुरम गोल्ड लोन आफिस में हुई करीब 24 किलो सोने के लूट के मामले का पुलिस ने खुलासा कर दिया. दो महीने बाद पुलिस ने लूट की वारदात में शामिल दो शातिर बदमशों को गिरफ्तार किया. हालांकि पुलिस के हाथ अभी भी लूट का माल नहीं लगा है. वहीं लूट की योजना बनाने वाला मास्टर माइंड गुड्डू और उसके दो अन्य साथी अभी भी फरार है.
24 किलो गोल्ड लूट मामले का खुलासा
मामले का खुलास करते हुए उदयपुर रेंज आईजी प्रफुल्ल कुमार ने बताया कि पांच बदमशों ने योजना बना कर लूट की वारदात को अंजाम दिया. इनमें से दो आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के कब्जे से एक पिस्टल और दो जिंदा कारतुस बरामद किए. जो वारदात को अंजाम देने के दौरान काम में लिए गए थे. गिरफ्तार आरोपी फंटूश और प्रिंस बिहार के वैशाली और नालंदा क्षेत्र के रहने वाले है. मामले में फरार चले रहे मास्टर माइंट गुड्डू और उसके दो अन्य साथियों के तलाश के लिए पुलिस की टीमें प्रयास कर रही है.
ऐसे आए पकड़ में
लूट की वारदात को खुलासा करने के लिए एसपी विकाश शर्मा के निर्देश में गठित विशेष टीमें बदमाशों को पकड़ने के लिए लगातार दबिश दे रही थी. इस दौरान पुलिस की टीम को मुखबिर के जरिए सुचना मिली कि लूट की वारदात में शामिल रहे दो आरोपी राजस्थान की ओर आ रहे है. वे यहां फिर से लूट की वारदात को अंजाम देने की फिराक में है. जहां वे नए स्थान के लिए रेकी करेगें और वारदात को अंजाम देगें. इस पर आरोपियों को पकड़ने के लिए दबिश दे रहे प्रतापनगर थानाधिकारी दर्शन सिंह, अम्बामाता थानाधिकारी रविन्द्र चारण और सुखेर थानाधिकारी संजय शर्मा ने दोनों आरोपियों को चित्तौड़गढ़ के निम्बाहेड़ा के पास से गिरफ्तार कर लिया.
योजना बना दिया वारदात को अंजाम, गुमराह करने के लिए छोड़े सबूत
लूट की वारदात को अंजाम देने से पहले बदमशों ने पुरी योजना तैयार की. वारदात को अंजाम देने के करीब 15 से 20 दिन पहले वे उदयुपर आ गए थे. शहर से कुछ दूर डबोक इलाके में उन्होंने अपने आप को स्टूडेंट बताते हुए एक मकान किराए पर लिया. वे विद्यार्थियों की तरह ही अपनी दैनिक दिन चर्या बिताने लगें. इस दौरान उन्होने गुगल और इंटर नेट की सहायता से मणप्पुरम गोल्ड लोन की ऐसे ब्रांच को सर्च किया जहां से लूट की वारदात को अंजाम देने के बाद आसानी से भागा जा सके. बदमाशों ने प्रतापनगर थाना क्षेत्र के सुन्दरवास इलाके में स्थित ब्रांच को चिन्हित किया. साथ ही भागने के लिए उन रास्तों को भी चिन्हित किया, जहां से पुलिस को चकमा देकर आसानी से भागा जा सके. अपनी योजना के तहत लूट की वारदात को अंजाम देने के बाद सभी आरोपी दो बाइक पर सवार हो कर फरार हुए.
बिहार कनेक्शन निकला
जिले से बाहर निकलने के लिए उन्होंने कच्चे और ग्रामीण इलाकों के रास्तों को सहारा लिया. जहां पुलिस की नाकेबन्दी नहीं थी. जिसमें वे सफल हुए और पहले उदयपुर जिले से बाहर निकले और फिर राज्य की सीमा पार करते हुए एमपी पहुंच गए. जहां से वे सभी आरोपी अलग हो गए. पुलिस से बचने के लिए आरोपियों ने खुद ही ऐसे कई सबुत भी छोड़े जो पुलिस अगर पुलिस के हाथ मे आए तो पुलिस गुमराह कर जाए और उन्हें भागने में आसानी रहे. आरोपी जिस मकान में किराए पर रहे वहा उन्होंने अपना फर्जी आधार कार्ड दिया. वारदात में प्रयुक्त हुई बाइक को उन्होंने कोटा से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खरीदा. वहीं बदमाशों ने जिसे सीम का उपयोग किया वह भी जाली दस्तावेजों से खरीदी गई थी.
सरगना गुड्डू ने तैयार की गैंग
लूट की वारदात को अंजाम देने वाले गिरोह के कुख्य सरगना सहीत तमाम सदस्यों ने अपने फर्जी नाम रख रखें थे. इनकी आपस में काई विशेष पहचान नहीं थी. जेल में बंद होने के दौरान वे एक दूसरे से जरूर मिले थे. गैंग का सरगना गुड्डू शातिर बदमाश है. उसी ने इस योजना को तैयार किया और फिर फिल्मी अंदाज में पांचों लोगों को अलग अलग कर के उदयपुर बुलाया. गिरोह में शामिल सदस्यों को वारदात में सहयोग करने पर 50 लाख से एक करोड़ रूपए देने का वादा किया. यही नहीं वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी इंदौर से अलग अलग हुए तो उन्होंने एक दुसरे से सम्पर्क नहीं करने का निर्णय लिया और तय सीमा के बाद लूट का माल बाटने का निर्णय भी लिया. पुसिल की गिरफ्त में आए दोनों आरोपियों के साथ गैंग का मुख्य सरगना गुड्डू सामान्य परिवार से है लेकिन वे कम उम्र में ही अपराध की दुनिया में आए गए और फिर आदतन अपराधी बन गए. पुलिस की गिरफ्त में आए प्रिंस पर एक पुलिस अधिकारी की हत्या में शामिल होने का आरोप भी है.
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असफलता से ली सीख
उदयपुर में वारदात को अंजाम देने के पहले गिरोह के सदस्यों ने उड़ीसा में भी एक गोल्ड लोन के आफिस में लूट की वारदात को अंजाम देने का प्रयास किया, लेकिन वहां पर अर्लाम बज जाने से वे वारदात को अंजाम देने में सफल नहीं हो पाए. अपनी इसी असफलता को बदमशों ने ध्यान में रखा और उदयपुर में वारदात को अंजाम देने में सफल हो गए.
इस टीम ने की मेहनत
एसपी विकाश शर्मा और एएसपी चन्द्रशील ठाकुर के निर्देशन में गठित हुई टीम में पुलिस निरिक्षक दर्शन सिंह, श्याम सिंह रत्नु, रविन्द्र चारण, रामसुमेर मीणा, हनुवन्त सिह, दलपत सिंह, दिलीप सिंह, उप निरिक्षक फैली राम, अमित कुमार, नाथुसिंह, हैडकांस्टेबल गोविन्द, अखिलेश, मदन सिंह, गणेश, अख्तर, कुलदीप, इश्वरसिंह, गजराज, सुखदेव, विक्रम सिंह, धर्मवीर सिंह, मनमोहन, कांस्टेबल हरिकिशन, अचलाराम, उमेश, सुभाष, राजुराम, रामजीलाल, मुकेश, किरण कुमार, लोकश, प्रवण, प्रमोद, विजय, करतार सिंह, श्रवणकुमार, चेतन दास, हेमेन्द्र, भगवती लाल, प्रदीप, जिग्नेश, दिनेश, भंवरलाल, नरेन्द्र सिंह, रूद्रप्रताप, दिनेश कुमार,रतन सिंह, विजय, भल्लाराम, लोकेश, विनोद, हरेन्द्र, उपेन्द्र, अनिल, सीताराम, प्रहलाद, रामनिवास, विक्रम सिंह, रविन्द्र, फिरोज, राकेश, भागीरथ प्रजापत, जगदीश और चन्द्र कुमार ने अपना अहम योगदान दिया.