किसान और खेत मजदूर समूह पर कांग्रेस का मंथन, कांग्रेसी नेताओं ने कही ये बड़ी बात
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी असलियत में निजी बीमा कंपनी मुनाफा योजना बन गई है. निजी बीमा कंपनियों ने पिछले 6 वर्षों में 34,304 करोड़ रुपए मुनाफा कमाया.
Udaipur: कांग्रेस के चिंतन शिविर का रविवार को आखिरी दिन रहा. उदयपुर में चिंतन शिविर में नव संकल्प का संदेश लेकर कई बड़े बदलाव और कई बड़ी योजनाओं की रूप रेखा कांग्रेस की ओर से तय की जा रही है. इसी क्रम में आखिरी दिन कई अहम विषयों पर चर्चा की गई. इस दौरान ‘‘किसान और खेत मजदूर समूह’’ ने देश में भाजपा सरकार निर्मित मौजूदा कृषि संकट का गहन संज्ञान लेते हुए कई महत्वपूर्ण विषयों और नीतियों पर पुनर्विचार की आवश्यकता पर बल दिया. कर्ज के दलदल में फंसे देश के अन्नदाता पर 31 मार्च, 2021 तक 16.80 लाख करोड़ का कर्ज चढ़ गया है. केंद्र सरकार ने 8 वर्षों में किसान की कर्ज मुक्ति के लिए पूर्णतया उदासीनता व बेरुखी दिखाई है.
वक्त की मांग है कि ‘‘राष्ट्रीय किसान ऋण राहत आयोग’’ का गठन कर कर्जमाफी से कर्जमुक्ति तक का रास्ता तय किया जाए. कर्ज न लौटा पाने की स्थिति में किसान के खिलाफ अपराधिक कार्रवाई तथा किसान की खेती की जमीन की कुर्की पर पाबंदी लगाई जाए तथा खेतिहर किसानों को मुफ्त बिजली उपलब्ध हो.
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किसान की एक और सबसे बड़ी समस्या फसल की कीमत ना मिलना है. आजाद भारत के सबसे बड़े किसान आंदोलन के बाद मोदी सरकार द्वारा एमएसपी की गारंटी पर विचार करने के लिए कमेटी बनाने का वादा तो किया, पर हुआ कुछ नहीं। किसान संगठनों की न्यायोचित मांग है कि केंद्र सरकार एमएसपी की कानूनी गारंटी दे तथा किसान की एमएसपी का निर्धारण C2 50% के आधार पर हो, यानि एमएसपी निर्धारण करते समय किसान को ‘Cost of Capital’ व ‘जमीन का किराया’ जोड़कर 50 प्रतिशत अधिक दिया जाए.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी असलियत में निजी बीमा कंपनी मुनाफा योजना बन गई है. निजी बीमा कंपनियों ने पिछले 6 वर्षों में 34,304 करोड़ रुपए मुनाफा कमाया, पर किसान को कोई लाभ नहीं मिला. वक्त की मांग है कि खेती के पूरे क्षेत्र का बीमा किया जाए व ‘नो प्रॉफिट, नो लॉस’ के सिद्धांत पर बीमा योजना का संचालन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की बीमा कंपनियां करें. किसान कल्याण के लिए यह आवश्यक है कि कांग्रेस के 2019 के घोषणापत्र के अनुरूप एक अलग ‘‘कृषि बजट’’ संसद में प्रस्तुत हो, जिसमें किसान कल्याण की सभी परियोजनाओं का लेखा-जोखा दिया जाए.
मौसम की मार, प्राकृतिक आपदा, बाजारी मूल्यों में उतार-चढ़ाव आदि को देखते हुए किसान को राहत देने के लिए ‘‘राष्ट्रीय किसान कल्याण कोष’ बनाया जाए. किसान के ट्रैक्टर व खेती के अन्य उपकरण जीएसटी की परिधि से मुक्त हों. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साल 2019 के घोषणापत्र में अंकित ‘न्याय के सिद्धांत’ को हर किसान व खेत मजदूर परिवार पर लागू कर हर माह प्रति परिवार को 6,000 रुपए हस्तांतरण हो.
छोटे व सीमांत किसानों व भूमिहीन गरीबों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए यही एक उपाय है. वक्त की यह भी मांग है कि कृषि उपज मंडियों की संख्या मौजूदा 7,600 से बढ़ाकर 42,000 की जाए, ताकि हर 10 किलोमीटर पर एक कृषि उपज मंडी की स्थापना हो. ग्रामीण रोजगार और गरीबी उन्मूलन के लिए मनरेगा ही एकमात्र उपाय है. दुर्भाग्यवश केंद्रीय भाजपा सरकार ने कोरोना की विषम परिस्थितियों के बावजूद मनरेगा के बजट में कटौती कर डाली है. मनरेगा में हर व्यक्ति को जहां 100 दिन का काम देना अनिवार्य हो, वहां यह जरूरी है कि मनरेगा मजदूरी को न्यूनतम मजदूरी के बराबर लाकर सालाना औसत आमदनी को 18,000 रुपए किया जाए.