Jhadol: उदयपुर के सबसे पिछड़े आदिवासी क्षेत्र के चहुमुखी विकास के लिए उदयपुर कलेक्टर ताराचंद मीणा ने मिशन कोटडा का आगाज किया, जिसके सार्थक परिणाम भी सामने आए है लेकिन कई कर्मचारी ऐसे है जो अपनी लापरवाही को नहीं छोड़ रहे. यही कारण है कि लाख प्रयास के बाद भी आदिवासी समुदाय के लोगों को सारी सुविधा नहीं मिल पा रही है. कुछ ऐसा ही हाल कोटडा उपखंड के रुंजिया खुणा गांव के प्राथमिक विद्यालय का है, जहां पढ़ने वाले बच्चों को नए सत्र के शुरू होने का इंतजार पूरा नहीं हो रहा है.


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प्रदेश सरकार आदिवासी बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का भरसक प्रयास कर रही है. सरकार के इस प्रयास को उदयपुर कलेक्टर ताराचंद मीणा ने मिशन मोड़ पर लेते हुए साकार करने का प्रयास शुरू किया. आदिवासी क्षेत्र कोटडा में विशेष अभियान चलाकर सरकार की सभी योजनाओं को अंतिम तबके तक पहुंचाने के लिए मिशन कोटडा शुरू किया गया है, जिसकी मॉनिटरिंग भी खुद कलेक्टर कर रहे है जिससे आदिवासी समाज के लोगों को सरकार की हर योजना का लाभ मिले और उनके बच्चें भी पढ़-लिख के आगे बढ़ पाए. 


इसके बावजूद आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आदिवासी बाहुल्य कोटडा पंचायत समिति का एक प्राथमिक विद्यालय ऐसा भी है जिसका नए सत्र 2022 में अब तक ताला भी नहीं खोला गया. कोटडा पंचायत समिति के ग्राम पंचायत रूंजीया खुणा की गोरिया प्राथमिक विद्यालय, यहां पढ़ने वाले बच्चे हर रोज स्कूल पहुंच रहे है लेकिन उनके भविष्य को सुधारने वाले गुरु वहां नहीं पहुंच रहे. अपने बच्चों की पढ़ाई खराब होती देख ग्रामीणों ने उच्चाधिकारियों को शिकायत की लेकिन वे भी इस बात से अनभिग्य थे. 


विद्यालय में कार्यरत एक शिक्षिका और एक शिक्षक ने सत्र 2022 में आज तक ना तो विद्यालय गए ना ही उसका ताला खुला. हालांकि दोनों शिक्षकों का वेतन सरकार से प्रतिमाह लगातार उठ रहा है. इस पर गुस्साए ग्रामीण स्कूल पहुंचे, ग्रामीण, बच्चों के साथ स्कूल में डटे रहे और शिक्षकों के आने का इंतजार करते रहे लेकिन कोई नहीं आया, ऐसे में ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द से जल्द शिक्षक स्कूल में नहीं पहुंचे तो कोटडा के मुख्य मार्ग को जाम किया जाएगा.


Reporter: Avinash Jagnawat


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