Dungarpur: प्रदेश के आदिवासी बहुल डूंगरपुर (Dungarpur) जिले को पिछड़े जिलों की श्रेणी में माना जाता है लेकिन इस जिले में लोग जल्द ही तनावग्रस्त (Stressed) हो रहे हैं और इसी तनाव के चलते मौत को गले लगा रहे हैं. युवाओं से लेकर बुजुर्ग भी अलग-अलग कारणों के चलते जिंदगी से हारते हुए मौत (Death) को गले लगा रहे हैं.
जानकार बतातें है कि किसी भी व्यक्ति की जिंदगी में तनाव, जिम्मेदारी और आर्थिक कारण ये तीन बड़े कारण होते है और इन कारणों से व्यक्ति आत्महत्या (suicide) जैसे कदम उठाते हैं. डूंगरपुर जिले में वर्ष 2019 से जून 2021 तक 762 लोग अलग-अलग कारणों से आत्महत्या कर चुके हैं. कुछ मामले तो पुलिस तक पहुंचते ही नहीं है.

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क्या रहे मौत के आंकड़े 
साल 2019 में 289 लोगों ने आत्महत्या की और साल 2020 में आत्महत्या करने वालों की संख्या 308 रही, जबकी साल 2021 जून तक 165 लोगों ने आत्महत्याएं की. डूंगरपुर जिले में वर्ष 2019 से जून 2021 तक 762 लोग अलग-अलग कारणों से आत्महत्या कर चुके हैं.

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आत्महत्याओं की घटनाओं में कमी लाने के लिए हो रहे प्रयास
जिले में बढ़ रही आत्महत्याओं की घटनाएं सभी के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, हालांकि डूंगरपुर पुलिस (Dungarpur police) इन घटनाओं में कमी लाने के लिए प्रयास भी कर रही है. पुलिस विभाग की ओर से सामुदायिक स्तर पर जागरूकता (Awareness) कार्यक्रमों के माध्यम से साथ ही सीएलजी सदस्यों व ग्राम रक्षा दलों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है, जिसमें उन्हें बताया जा रहा है यदि उन्हें किसी बात को लेकर तनाव हो तो वे उस बात को अपने मित्र, परिवार जन या पुलिस से शेयर करें ताकि उस समस्या का समाधान हो और व्यक्ति उस तनाव के चलते कोई गलत कदम ना उठाएं.



मौत से नहीं डर रहे लोग
बहरहाल, डूंगरपुर जिले में बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं को लेकर एक ओर जहां पुलिस विभाग चिंतित है तो वहीं आमजन के मन में भी बार-बार यही सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसे क्या हालात बन रहे हैं कि लोग मौत से भी नहीं डर रहे हैं. पुलिस विभाग इन घटनाओं में कमी लाने के लिए प्रयास जरुर कर रहा है लेकिन इस बारे में घर के प्रत्येक व्यक्ति को सोचने व सजग रहने की भी आवश्यकता है.
Reporter- Akhilesh Sharma