Udaipur news: देश को आजाद हुए 70 दशक से ज्यादा का समय हो गया है. बावजूद इसके उदयपुर जिले के सूदूर जनजाति क्षेत्र कोटड़ा के ऐसे कई इलाके है जो आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. विकास के अभाव में चारपाई पर लेटे बीमार व्यक्ति को होस्पिटल ले जाने ले जाने के लिए कि जा रही मशक्कत की यह तस्वीर है, जो दुनिया के सबसे खूबसूरत शहरों में शुमार उदयपुर के आदिवासी इलाके कोटडा की. केंद्र हो या राज्य सकरार सभी ने इलाके के विकास के लिए कई योजनाएं बनाई. लेकिन आदिवासी इलाके तक पहुंचने के पहले ही योजनाएं दम तोड़ देती है.


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उनका पूरा लाभ भी लोगो को नही मिल रहा. क्षेत्र के विकास के लिए जारी हुआ बजट कहा लगा यह भी कोई नहीं जानता. लोगो का कहना है कि चुनावी मौसम में नेता आते है और उसे बाड़े कर वोट भी लेजाते है, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उनकी सुध कोई नहीं लेता. राजनैतिक दल और राजनेता केवल वोट बैंक की राजनीति तक ही सीमट कर क्षेत्र का विकास भूल जाते है. क्षेत्र की जनता को आज भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीने मरने को मजबूर हैं. कोटडा कस्बे के कई गांवो में बिजली, सड़क, पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नही पहुंच पाए है.


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दर्जनों गांवों के लोग आज भी पगडंडी पर पैदल सफर तय कर अपबे घरों तक पहुंचते हैं. यही नही आदिवासी समाज के लोगो को सर्वाधिक परेशानी उस समय होती है जब परिवार को कोई सदस्य बीमार हो जाता है. बीमार को अस्पताल ले जाने के लिए उसे चारपाई पर लिटाकर या झोली में डाल कर कई किलो मीटर तक पैदल सफर करना होता है फिर मुख्य मार्ग पर आने के बाद एम्बुलेंस या अन्य साधनों से होस्पिटल लेजाते है. हालांकि पिछले कुछ महीनों में जिला प्रशासन ने मिशन कोटडा चला कर बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोगो को सरकार की जन कल्याण कारी योजनाओं से जोड़ा है. 


लेकिन प्रशासन का यह प्रयास भी उनकी परेशानी को कम नही कर पा रहा है. महिलाओ को आज भी पीने के पानी के लिए मशक्कत करनी पड़ती है. क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों का भी मानना है कि आजादी के बाद क्षेत्र के विकास के लिए जो प्रयास होने चाहिए थे उतने नही किए गए. यही कारण है कि तमाम प्रयास के बावजूद क्षेत्र का विकास नही हो पाया है.