udaipur News: आपने अक्सर राजा-महाराजा की कहानियों में बेशुमार सोना और चांदी के बारे में सुना होगा. लेकिन कभी आपने सोचा है कि राजा-महाराजा अपने सोने और चांदी को कहां रखते थे और कैसे ले जाते थे? अगर नहीं, तो हम आपको राजा-महाराजा के समय में सोने चांदी रखने वाले जगह के बारे में बताते है. राजा-महाराजा अपने सोने और चांदी को बड़े और भारी चरू में रखते थे. जब राजा-महाराजा को कहीं जाना होता या कोई जीत के बाद लौटते थे, तो उन्हें सोना और चांदी को बड़े भारी चरू में लेकर आते थे. इसके पीछे उनके सिपाही सिर पर रखकर चरू लेकर जाते थे. बीकानेर के राजकीय गंगा संग्रहालय में तांबे के चरू आज भी रखे हुए हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ये भी पढ़ें- बड़ी खबर! दीया कुमारी को वित्त-PWD तो किरोड़ी लाल मीणा को स्वास्थ्य की जिम्मेदारी, विभागों का बंटवारे पर लगी मुहर


20वीं सदी से रखे हुए हैं चरू 


राजकीय गंगा संग्रहालय ने बताया कि, यह चरू यहां संग्रहालय में 20वीं सदी से रखे हुए हैं. इस चरू की उत्पत्ति 1669 से 1698 के बीच बीकानेर के महाराजा अनूप सिंह जी के समय में हुई थी. इसमें देवनागरी लिपि में लिखी गई दो पंक्तियां भी हैं. इस तांबे के चरू का वजन 40 से 50 किलो के बीच है.


यहां दो प्रकार के तांबे के चरू हैं - एक बिना ढक्कन के और दूसरा ढक्कन के साथ. इन चरू का कई तरीकों से उपयोग किया जाता था, जैसे कि खजाना भरना, जमीन में दबाना और अन्य सामग्री संग्रहण के लिए."


ये भी पढ़ें- राजस्थान के नये मुख्य सचिव सुधांश पंत सचिवालय पहुंचे सुबह 9.40 बजे, कुर्सी पर बैठे दोपहर 3.15 मिनट पर, थी ये बड़ी वजह