Udaipur, Jhadol: उदयपुर के आदिवासी बाहुल्य के कोटडा इलाके में नरेगा संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया. आदिवासी विकास मंच की ओर से आयोजित हुए इस संवाद कार्यक्रम में कोटड़ा विकास अधिकारी धनपत सिंह और मंच से जुड़े पदाधिकारियों के साथ बड़ी संख्या में नरेगा श्रमिक मौजूद रहे. इस दौरान नरेगा कार्यों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई.


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कार्यक्रम के दौरान मंच के संयोजक धरमचंद खैर ने कहा कि नरेगा में श्रमिकों को न्यूनतम् मजदूरी 231 रुपया अनिवार्य रुप से मिलनी चाहिये व इसकी व्यवस्था स्थापित करना कार्यकारी ऐजेंसी की जिम्मेदारी हैं कि वे नपती की व्यवस्था को सही से लागू करें. उन्होनें कहा की कोटड़ा में अभी औसत 190 रुपया मजदूरी मिल रही हैं. जो न्यूनतम् मजदूरी से बहुत कम हैं. इससे परिवार को चलाना मुश्किल हो रहा हैं. यदि मजदूरी इसी प्रकार कम रही तो श्रमिकों का मोह भंग हो जायेगा.


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मंच के संयोजक बाबुलाल गमार ने बताया की आदिवासी विकास मंच द्वारा 9 से 13 जनवरी तक कोटड़ा ब्लॉक के 26 पंचायतों के 55 गांव में काम मांगो अभियान पंचायत समिति के साथ मिलकर आयोजित किया. अभियान के दौरान 2282 महिलाओं व 2134 पुरुषों कुल 4416 ने काम के लिये आावेदन किया जिसकी रसीद भी प्राप्त हो गई. अभियान में जो बाते निकलकर आई व श्रमिकों, मेटों व जनप्रतिनिधियों के द्वारा समस्याएं बताई गई उन्हें प्रषासन के समक्ष रखने के लिये पंचायत समिति सभागार में नरेगा संवाद का अयोजन किया गया. संवाद में कोटड़ा ब्लॉक के 250 से अधिक श्रमिकों ने भागिदारी की.


क्या आई मुख्य समस्याएं


नरेगा संवाद में मंच की टीम व गांव से आये श्रमिकों द्वारा मुख्यतः निम्न समस्याएं रखी गईं


  •  ऑनलाइन हाजरी हो गई हैं परन्तु इंटरनेट व्यवस्था नहीं होने या खराब होने के कारण हाजरी नहीं भरी जा सक रही हैं जिससे मेट काम नहीं करवाना चाह रहे हैं.

  •  मामेर क्षेत्र में आईसीआईसीआई द्वारा श्रमिकों के मजदूरी में से कटौती की जा रही हैं और बार-बार चक्कर कटवाए जा रहे हैं जिससे लोग परेशान हैं.

  • नपती की व्यवस्था अभी तक स्थापित नहीं होने से न्यूनतम मजदूरी कही भी नहीं मिल रही हैं.

  •  कारीगर व मेटों का समय पर भुगतान नहीं हो रहा हैं.


धनपतसिंह विकास अधिकारी ने कहा की ऑनलाईन हाजरी की व्यवस्थाा सरकार द्वारा भ्रष्टाचार को रोकने के लिये की गई हैं कोटड़ा के 145 गांव में इंटरनेट सुविधा नहीं हैं जिससे परेशानी हैं इसके लिये उच्चाधिकारियों को अवगत करवा रखा हैं. साथ ही उन्होनें देरी से भुगतान, मेटों और कारीगरों के बकाया भुगतान के माामलों को हाथों-हाथ दिखवाकर निस्तारण करवाया.


सरफराज शेख समन्वयक आदिवासी विकास मंच ने कहा की कोटड़ा के लिये नरेगा जीवन रेखा हैं परन्तु मेटों को समय पर भुगतान नहीं मिलने व ऑनलाईन हाजरी की व्यवस्था स्थाापित नहीं होेने के कारण कोई भी मेट काम करवाने के लिये आगे नहीं आ रहा हैं अतः मेट को मजबुत बनाकर ही नरेगा को अधिक सशक्त किया जा सकता हैं.


मंगलाराम मीणा तहसीलदार कोटड़ा ने कहा की गांव स्तर पर श्रमिकों को निगरानी रखनी पड़ेगी की कोई एवजी में काम करने या नाम होने के बावजूद भी काम पर नहीं आया है तो इसकी शिकायत करें जिससे काम करने वाले मजदूरों को पूरी मजदूरी मिल सकेगी.


संवाद के दौरान पंचायत समिति से अतिरिक्त विकास अधिकारी इन्दसिंह मीणा, एम.आई.एस. मैनेजी रामेश्वर, आदिवासी विकास मंच से चन्दूराम गरासिया, राजेन्द्र कुमार, किशन लाल, हेमलता श्रीमाली, भीमाराम गरासिया, मकनाराम, रमेश, दिलीप कुमार, मोहनलाल, होनाराम, मंजुला ने भी अपने विचार व्यक्त किये.