क्या आप जानते हैं उदयपुर जिले के गौरवशाली का इतिहास, रोचक है इसका रहस्य
Udaipur News: उदयपुर जिले का मेनार गांव जो अपने गौरवशाली इतिहास के दम पर देश-दुनिया में अपनी अलग पहचान रखता है...
Udaipur News: उदयपुर जिले का मेनार गांव जो अपने गौरवशाली इतिहास के दम पर देश-दुनिया में अपनी अलग पहचान रखता है. बिते कुछ वर्षों में मेनार गांव ने बर्ड विलेज के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई है, लेकिन मेनार और इसके आस-पास बसे करीब आधा दर्जन गांव के लोगों की एक कला ऐसी भी है, जिसने देश और दूनिया के सेलिब्रिटी को अपना दिवाना बना रखा है. यही कारण है कि यहां के लोगों की पहूंच उनके किचन तक है. हम बात कर रहे हैं मेनारिया ब्राह्मण समाज के लोगों के पाक कला की, जिसके दम पर इन्होंने कई उद्योगपतियों, कलाकरों और राजनैताओं को अपना कायल बना रखा है.
उदयपुर जिला मुख्यालय से करीब 60 किलो मीटर दूर बसा मेनार गांव अपने आप में कई खुबिया लिए हुए है. रिहासत काल में यहा रहने वाले मेनारिया ब्राह्मण समाज के लोगों ने मुगलों की एक चोकी को तबाह कर मेवाड रिहासत की रक्षा की, जिसमें गाथा आज भी गाई जाती है. वर्तमान दौर में मेनार गांव के लोगों ने पर्यावरण सरक्षण के लिए भी अनुठी मिला पेश की है, जिसके चलते हर साल मेनार तलाब में हर साल हजारों की संख्या में विदेशी पक्षी प्रवास पर आते हैं, जिसने इस गांव को बर्ड विलेज के रूप में पहचान दी. इन खुबियों के साथ ही यहा के लोगों की पाक कला के भी कई सेलिब्रिटी कायल है.
साथ ही भले ही मेनार और आप पास के गांव के लोगों ने किसी बडे कॉलेज में जा कर शेफ का कोर्स नहीं किया, लेकिन यहां के लोगों ने राजनैताओं, सेलिब्रिटी और उद्योगपतियों के किचन तक अपनी पहुंच बनाई है. गांव में ऐसे कई बूजुर्ग है जो पर्व में बड़े-बड़े लोगों के घरों की रसोई संभाल चूके हैं, तो वहीं वर्तमान दौर के युवा अपने इलाके की पाक कला को आगे बढ़ा रहे हैं.
मेनार के रहने वाले भंवरलाल मेनारिया ने देश के जाने माने उद्यमियों के अपने हाथों से खाना बना कर खिलाया है. हालांकि अपने जीवन के 80 दशक पूर्ण कर चूके भंवरलाल अब अपने गांव में रहते हैं. भंवरलाल मेनारिया बताते है कि उन्होंने अपने साथी मांगीलाल के साथ मिल कर वर्ष 2016 में वर्तमान प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी की टोक्यों यात्रा के दौरान गुजरात व्यंजन बनाए थें. उन्होने अपनी पाक कला को परिवार के अन्य सदस्यों के साथ कई लोगों तक पहुंचा है, जो आज देश के कौने-कौने में फैली हुई है.
मेनार से सटे बाठेडा खुर्द गांव का रहने वाला सुन्दर लाल अभी देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अम्बानी के यहा पर महाराज के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा है. सुन्दरलाल ने बताया कि कारोना काल से पहले वह मुम्बई में महाराज का काम करता था. कोरोना के दौर में वह अपने घर आ गया. करीब एक साल पहले उसे अंबानी के यहा से बुलावा आया. लम्बी प्रक्रिया के बाद आखिर उसको सेलेक्ट कर लिया. वह अंबानी के एंटीलिया में महाराज के रूप में काम कर रहा है. वह यहा पर राजस्थानी और गुजरात खाने के अलावा ओर भी कई व्यंजन बनता है.
वहीं बांसडा गांव का रहने वाला भरत मेनारिया बताते है कि उन्होने ने भी कई बडी हस्तियों के यहां काम किया, लेकिन अब वे गुजरात के एक कम्पनी के साथ जुड़ गए हैं और अपनी टीम के साथ बाहर जाने वाले ग्रुप्स के साथ जाते है और उनके लिए खाना बनाने का काम करते हैं. भरत ने पाक कला अपने पिता से सिखी. उनके पिता ने शिव सेना सुप्रिमों रहे बाल ठाकरे के लिए खाना बनाया है. वे लम्बे समय तक मातोश्री का किचन संभाल चूके हैं.
मेनार और इसके आस पास सटे गांव के रहने वाले लोगों ने अपनी इस पाक कला का विदेशों तक भी पहुंचाया है. मेनार के ही रहने वाले विजय मेनारिया इन दिनों दूबई में है और वहां पर कई धनाढ्य लोगों के यहा राजस्थानी के साथ देश के विभिन्न प्रान्तों के प्रसिद्ध व्यंजनों को बना कर खिला रह हैं. मेनार और आस पास के इलाके में रहने वाले ये शेफ अधिकांश ब्राह्मण समाज से जुडे हुए हैं. यही कारण है कि केवन शाकाहरी भोजन ही बनाते हैं.
Reporter: Avinash Jagnawat
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