उदयपुर: आजादी के 7 दशक बाद राज्य और केंद्र सरकारें आदिवसी इलाकों में विकास के लाख दावे करती है. लेकिन धरातल से आने वाली तस्वीर इन दावों की पोल अपने आप ही खोल देती है. कुछ ऐसा ही हाल गोगुन्दा क्षेत्र के सागोका वेरा गांव का है. जहां आज भी लोग बुनियादी सुविधा को तरस रहे है.


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40 परिवारों की जिंदगी 3 किलोमीटर पगडंडी के सहारे


गोगुंदा कस्बे के इस गांव में 40 परिवारों की जिंदगी 3 किलोमीटर पगडंडी के सहारे हैं. यहां अगर कोई बीमार हो जाए तो परिवार के लोगों के हाथ पैर फूल जाते हैं. ज्यादा बीमार होने पर चारपाई या झोली में लिटा कर 3 किलोमीटर तक उबड़ खाबड़ पथरीले रास्तों को काटते हुए मुख्य सड़क मार्ग पर आना पड़ता है. आज ऐसा ही एक मंजर सामने आया गांव की एक गर्भवती महिला मोहनी गमेती को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हुई.


जिस पर परिजन और ग्रामीण चारपाई पर लिटा कर 3 किलोमीटर उठाकर मुख्य सड़क मार्ग तक लेकर पहुंचे. जहां से निजी वाहन पर महिला को गोगुंदा हॉस्पिटल पहुंचाया गया. डाक्टरों ने गंभीर हालत को देखते हुए महिला को जिला अस्पताल रेफर किया. जहां महिला ने बच्चे को जन्म दिया. गनीमत रही कि इस दौरान कोई अनहोनी नही हुई. वरना खुशियों का इंतजार कर रहा आदिवासी परिवार गम में डूब जाता.



परिवार और ग्रामीणों ने बताया कि वे लंबे समय से अपने गांव के लि सड़क की मांग कर रहे हैं. लेकिन वन अधिकार के तहत सामूहिक फाइल लगाई हुई है. कई बार विभागीय अधिकारियों को भी अवगत कराया लेकिन एनओसी अभी तक नहीं आई है. ग्रामीणों ने राजस्थान पोर्टल पर भी कई बार शिकायत दर्ज करवाई है. लेकिन इनकी समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ. 


चारपाई एकमात्र साधन


ग्रामीणों ने बताया कि 5 किलोमीटर लंबे सड़क मार्ग पर 3 किलोमीटर पगडंडी नुमा रास्ता बना हुआ है. एक तरफ पहाड़ी का हिस्सा है और दूसरी तरफ खाई और उन्होंने बताया कि यहां चार पहिया वाहन तो छोड़ो कोई मोटरसाइकिल भी नहीं जा सकती हैं और गर्भवती व बीमार लोगों को ले जाने के लिए चारपाई ही एकमात्र साधन है.