Udaipur News: भारतीय सेना के बाद अब देश के वैज्ञानिकों ने भी पड़ोसी देश चीन के सामने अपने हौसलों को बुलंद करने की ठान ली है. भारत-चीन सीमा पर जल्द ही एशिया का सबसे बड़ी सोलर टेलिस्कोप को लगने जा रहा है. जिसमें उदयपुर की सौर वैधशाला का महत्वपूर्ण योगदान है. इस टेलिस्कोप के स्थापित होने के बाद देश के वैज्ञानिक ओर भी बारीकी से सूर्य का अध्ययन कर पाएंगे. क्या है पूरा प्रोजेक्ट देखिए हमारी इस खास रिपोर्ट में-


वैज्ञानिक आदित्यम एल-1 मिशन को सफल बनाने में जुटे (Adityam L-1 Mission)


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भारत के वैज्ञानिक इन दिनों सूर्य का ओर भी बारीकी से अध्ययन करने में जुटे हुए है. इसके लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है, जिससे सूर्य पर होने वाली घटनाओं के बारे में वैज्ञानिकों को ज्यादा से ज्यादा जानकारी मिल सके. देश के वैज्ञानिक आदित्यम एल-1 मिशन को सफल बनाने में जुटे हुए है. इसके साथ ही भारत-चीन सीमा पर पैंगोंग लेक के पास लगने वाली एशिया की सबसे बड़ी टेलिस्कोप पर भी तेजी से काम कर रहे हैं. जिसमें उदयपुर के फतह सागर झील में स्थित सौर वैधशाला का महत्वपूर्ण योगदान होगा.


 सूर्य की गतिविधियों का बारीकी से अध्ययन (Study movements of the Sun)


अहमदाबाद भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के निदेशक प्रो अनिल भारद्वाज ने बताया कि अभी भारत के पास 50 सेंटीमीटर की टेलीस्कोप है जो उदयपुर में लगी हुई है. यहां से सूर्य की गतिविधियों का बारीकी से अध्ययन किया जाता है. यहां कि सौर वेधशाला में लिया गया अनुभव पैंगोंग लेक पर काफी काम आएगा. इसके तैयार होने के बाद सूर्य के बारे में ओर भी कई महत्वपूर्ण जानकारिया मिल पाएगी. जो देश के साथ दुनिया के वैज्ञानिकों के अध्ययन के लिए काफी मददगार होगी. वहीं भारत सरकार चीन की सीमा पर देश का झंडा गाड़ने को अवसर मिलने पर वैज्ञानिक काफी उत्साहित नजर आ रहे है.


 मिशन आदित्य एल-1 में भी अपनी अहम भूमिका अदा करेगी (Mission Aditya important role in L-1)


पैंगोंग लेक के पास लगने वाले एशिया के सबसे बड़े टेलिस्कोप के साथ उदयपुर की सौर वैधशाला देश के सबसे महत्वपूर्ण मिशन आदित्य एल-1 में भी अपनी अहम भूमिका अदा करेगी. उदयपुर की सौर वेधशाला में लगे देश के सबसे बडे टेलिस्कोप के माध्यम से आदित्य एल वन मिशन के दौरान ग्राउंड बेस ऑब्जर्वेशन किया जाएगा. आदित्य एल-1 मिशन के लिए बैक एंड पर बनाए गए कई पार्ट्स उदयपुर की सौर वेधशाला में तैयार किए गए हैं.


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देश के 75 वैज्ञानिक उदयपुर में जुटे (75 scientists gathered in Udaipur)


वहीं आदित्य एल-1 मिशन के दौरान मिलने वाली जानकारियों का भावी अध्ययन किस प्रकार से किया जाए इसको लेकर देश के 75 वैज्ञानिक उदयपुर में जुटे. तीन दिन तक उन्होंने इसी बात पर मंथन किया कि मिशन से मिलने वाले महत्वपूर्ण जानकारियों का अध्ययन किन तथ्यों पर किया जाए. प्रो भारद्वाज ने बताया कि सूर्य पर लगातार गतिविधियां बदल रही है. यदि उन गतिविधियों का पूर्वानुमान सही समय पर हो जाए तो संभव है कि उन गतिविधियों के धरती पर होने वाले नुकसान से काफी हद तक बचा जा सकता है.