पितरों को प्रसन्न करने और सम्मान देने के लिए काले तिल का प्रयोग होता है.
काले तेल के साथ जौ मिलाकर किया गया तर्पण फलीभूत होता है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है.
काले तिल में शुद्धिकरण और सुरक्षात्मकता के गुम होते हैं, जिससे पूर्वज खुश होते हैं.
तिल का संबंध शनि देव से होता है, क्योंकि काला रंग शनि का प्रतीक होता है.
काला तिल पितरों को प्रसन्न करने के लिए मुख्य सामग्री माना जाता है.
अमावस्या पर पितरों को काले तिल से तर्पण करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है.
शनिवार के दिन सूर्य देव को काले तिल से अर्घ्य देने से शनि की साढ़े साती समाप्त होती है.
अगर किसी की कुंडली में शनि-राहु या केतु का प्रभाव है तो उन्हे काले तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए.
सर्पदोष से छुटकारा पाने के लिए भी काले तिल का इस्तेमाल होता है.
शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाने से भी कई फायदे मिलते हैं.