माता पार्वती ने भगवान शिव से बोला था झूठ, इसके बाद मनाया जाने लगा गणगौर का त्योहार

Sneha Aggarwal
Mar 29, 2024

गणगौर पूजा की शुरुआत

साल 2024 में गणगौर पूजा की शुरुआत 25 मार्च से हो चुकी है, जो 11 अप्रैल को समाप्त होगा. ऐसे में आज हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि गणगौर पूजा क्यों मनाई जाती है.

तरह-तरह के पकवान

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, एक बार की बात है जब माता पार्वती, भगवान शिव और नारद मुनि एक गांव में गए, वहां उनकी आने की खुशी में लोगों ने उनको भोग लगाने के लिए तरह-तरह के पकवान बनाए.

सौभाग्यवती

वहीं, गरीब महिलाओं ने श्रद्धा सुमन अर्पित की, जिसको देख मां पार्वती उन्हें सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दिया. इसके बाद अमीर घरों की महिलाएं भोजन लेकर देवताओं के पास गई और माता पार्वती से पूछा कि आप हमें क्या आशीर्वाद देंगी.

आस्था

इस पर माता पार्वती ने कहा कि जो महिलाएं सच्ची आस्था लेकर आई हैं, उन सभी के पात्रों पर मां के रक्त के छींटे पड़ेंगे. बाद में माता पार्वती ने अपनी उंगली काटकर अपना खून उन महिलाओं के बीच छिड़का, जिसके बाद अमीर महिलाएं निराश होकर घर चली गईं, जो अपने में मन में लालच लेकर आईं थी.

स्नान

फिर माता पार्वती भगवान शिव और नारद मुनि को वहीं छोड़कर स्नान करने चली गई. स्नान के बाद माता पार्वती ने नदी के पास शिवजी की रेत की मूर्ति बनाई और पूजा की.

रेत के लड्डू का भोग

पूजा के बाद माता पार्वती ने शिवजी की मूर्ति को रेत के लड्डू का भोग लगाया. इसके बाद वह वापस घर आईं, तो भगवान शिव ने पूछा कि देर कैसे हो गई.

माता पार्वती ने बोला झूठ

इस पर माता पार्वती ने कहा कि नदी से लौटते वक्त कुछ रिश्तेदार मिल गए थे, उन्हीं के यहां दूध भात खाने में देरी हो गई लेकिन भगवान शिव तो सब जानते थे. वहीं, भगवान शिव ने माता पार्वती के रिश्तेदारों से मिलने की इच्छा रखी.

भव्य स्वागत

इस पर माता पार्वती ने अपनी माया से उस जगह एक बड़ा महल बना दिया, जहां भगवान शिव और नारद मुनि का भव्य स्वागत किया गया.

रुद्राक्ष की माला

जब भगवान शिव और नारद मुनि लौटने लगे तो भगवान शिव ने नारद मुनि से अपनी रुद्राक्ष की माला लाने को कहा, जो वह महल में भूल गए थे.

माता पार्वती की माया

वहीं, नारद मुनि वहां पहुंचे तो वहां कोई महल नहीं था और भगवान शिव की माला एक पेड़ पर टंगी हुई थी. नारद मुनि ने ये सारी बात भगवान शिव को बताई तो महादेव मुस्कुराएं और नारद मुनि को माता पार्वती की माया के बारे में बताया.

चोरी-छिपे पूजा

कहा जाता है कि इसी के बाद गणगौर का त्योहार मनाया जाने लगा. माता पार्वती ने भी भगवान शिव को इस पूजा के बारे में नहीं बताया था. इसी के चलते इस दिन कोई भी पत्नी अपने पति को पूजा के बारे में नहीं बताती है और ना ही इसका प्रसाद खिलाती है.

यह सभी बातें लोगों की आस्थाओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. इनकी पुष्टि ZEE Rajasthan नहीं करता है.

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