क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग पर तुलसी का पत्तियां नहीं चढ़ानी चाहिए.
रौद्र रूप
कहा जाता है कि भगवान शिव को तुलसी चढ़ाने से उनका रौद्र रूप देखने को मिल सकता है. ऐसे में जानिए इसकी वजह.
तुलसी का नाम था वृंदा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, पिछले जन्म में तुलसी का नाम वृंदा था, जो जालंधर राक्षस की पत्नी थी.
राक्षस कुल
जालंधर महादेव का ही एक अंश था, लेकिन अपने बुरे कामों की वजह से उसका जन्म राक्षस कुल में हुआ था.
घमंड
जालंधर को अपनी वीरता पर बहुत ज्यादा घमंड था. ऐसे में हर कोई उससे बहुत परेशान था.
पतिव्रता महिला
लेकिन उसकी हत्या कोई भी नहीं कर सकता था तो उसकी पत्नी वृंदा एक पतिव्रता महिला थी.
जालंधर का अत्याचार
जालंधर का अत्याचार जब बढ़ने लगा तो भगवान विष्णु ने जालंधर का रुप धारण किया और वृंदा के पतिव्रता धर्म को तोड़ दिया.
पतिव्रता धर्म
जब वृंदा को इस बात के बारे में पता चला कि भगवान विष्णु ने उनका पतिव्रता धर्म को तोड़ दिया तो उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दे दिया.
लकड़ी बनने का श्राप
वृंदा के श्राप से गुस्सा होकर भगवान विष्णु ने उसे बताया कि वह राक्षस जालंधर से बचा रहे थे. इसी के चलते भगवान विष्णु ने वृंदा को लकड़ी बनने का श्राप दे दिया.
राक्षस जालंधर की हत्या
वृंदा का पतिव्रता धर्म नष्ट होने के बाद महादेव ने राक्षस जालंधर को मार दिया. वहीं, वृंदा भगवान विष्णु के श्राप के चलते वृंदा कालांतर में तुलसी बनी.
वजह
माना जाता है कि तुलसी श्रापित है और महादेव के द्वारा उसके पति को मारा गया था. इसी वजह से भगवान शिव को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है.
डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है, इसकी ज़ी मीडिया पुष्टि नहीं करता है.