सिर्फ 45 मिनट

इस बार शारदीय नवरात्र में आपके पास कलश स्थापना के लिए सिर्फ 45 मिनट का ही समय होगा.

कलश स्थापना

कलश स्थापना हमेशा अभिजीत मुहूर्त और प्रतिपदा तिथि में शुभ मानी जाती है, 15 अक्टूबर को सिर्फ 45 मिनट में ही कलश स्थापना की जा सकेगी.

वैधृति योग अशुभ

15 अक्टूबर को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.38 बजे से शुरू होकर दोपहर 12.33 मिनट तक रहेगा, जिसके ठीक बाद 12.34 मिनट से ही वैधृति योग शुरू होगा जो अशुभ है.

हाथी की सवारी

इस बार शारदीय नवरात्रि में माता हाथी पर सवार होकर आ रही है, जो कि बहुत शुभ संकेत माना जाता है.

सूर्य ग्रहण का काल

वहीं 14 अक्टूबर 2023 को रात 11.24 मिनट पर नवरात्रि की तिथि लगने के समय सूर्य ग्रहण का काल भी चल रहा होगा.

ग्रहण का सूतक काल

लेकिन सूर्य ग्रहण का नवरात्रि पूजा पर कोई असर नहीं होगा, लेकिन ग्रहण के सूतक काल के चलते घट स्थापना से पहले पूजा स्थल को पवित्र करना ना भूलें.

गंगाजल का छिड़काव जरूरी

सूर्य ग्रहण के शुरू होने के बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना ना भूलें. फिर खुद स्थान करके तुलसी के पौधे पर गंगाजल छिड़कें.

शुभ मुहूर्त

सूर्य ग्रहण के समाप्त होने के बाद शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें.

दिशा का रखें ध्यान

एक छोटी चौकी पर लाल कपड़ा बिछाने के बाद मां दुर्गा की प्रतिमा को ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में स्थापित कर लें.

कलश स्थापना विधि

एक कलश में जल, सुपारी, सिक्का, दुर्वा और लौंग डालकर रखें और अब नारियल पर स्वास्तिक बना कर कलश स्थापना करें

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