गले मिलना न मिलना तो तेरी मर्जी है, लेकिन तेरे चेहरे से लगता है तेरा दिल कर रहा है...

Ansh Raj
Oct 14, 2024

तेरा चुप रहना मेरे ज़ेहन में क्या बैठ गया. इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया

मेरे हाथों से लग कर फूल मिट्टी हो रहे हैं. मेरी आंखों से दरिया देखना सहरा लगेगा

मुझ पे कितने सानहे गुज़रे पर इन आँखों को क्या. मेरा दुख ये है कि मेरा हम-सफ़र रोता न था

सहरा से हो के बाग़ में आया हूँ सैर को. हाथों में फूल हैं मिरे पाँव में रेत है

तुझ को पाने में मसअला ये है. तुझ को खोने के वसवसे रहेंगे

मैं जंगलों की तरफ़ चल पड़ा हूँ छोड़ के घर.ये क्या कि घर की उदासी भी साथ हो गई है

वो जिस की छाँव में पच्चीस साल गुज़रे हैं. वो पेड़ मुझ से कोई बात क्यूँ नहीं करता

ये एक बात समझने में रात हो गई है. मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है

मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूँ. पहली बारिश ही आख़िरी है मुझे

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