स्त्री ऋण

स्त्री को धोखा देना, हत्या, मारपीट , विवाह कर छोड़ देना, बलात्कार समेत ऐसे ही वो सभी अपराध जो स्त्री को प्रताड़ित करते हैं. उन पर ये ऋण होता है. ऐसे जातक को अगले जन्म में कभी स्त्री और संतान सुख नहीं मिलता और घर के हर मांगलिक कार्य में विग्घ आता है.

मातृ ऋण

ये ऋण तब लगता है जब मां या मां समान महिला का अपमान किया जाता है. ऐसा जातक कभी खुश नहीं रहता है और कर्ज में डूब जाता है.

स्वत निर्मित दोष

पूर्व जन्म के कर्मों से बना ये दोष इस जन्म में कई तरह की पीड़ा को झेलता है. दिल की बीमारी और तनाव खास तौर पर इन लोगों को होता है.

पूर्वजों के कर्मों का ऋण

अगर आपके पूर्वजों ने पिछले जन्म के अधर्म किया था. तो इसका ऋण आपके ऊपर इस जन्म में रहेगा. इसलिए पितृपक्ष में इस ऋण को उतार लिया जाना चाहिए.

बहन का ऋण

अगर बहन को कष्ट दिया हो तो ये ऋण बिजनेस और नौकरी में हानि कराता है. ऐसे लोग 48 वें साल तक संकट में रहते हैं.

गुरु ऋण

अगर किसी से धोखे से मकान, भूमि या संपतित को हड़प लिया है या गुरु का अपमान किया है. तो ये ऋण लगता है.

ब्रह्म ऋण

जो लोग पितृ धर्म, मातृभूमि या कुल को छोड़ देते है. उनको इस ऋण का भागी बनना पड़ता है. ये ऋण पीढ़ी दर पीढ़ी साथ रहता है.

राहु केतु ऋण

किसी रिश्तेदार से धोखा या बदले की भावना या फिर पेट में पल रहे बच्चे को मारने पर ये ऋण लगता है.

(डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी है, जिसकी जी मीडिया पुष्टि नहीं करता है)

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