नई दिल्ली: राजीव कुमार पश्चिम बंगाल के1989 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और वह इस समय कोलकाता पुलिस आयुक्त हैं. राजीव कुमार को पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है. राजीव कुमार 2013 में शारदा चिटफंड घोटाला मामले की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के अध्यक्ष चुने गए थे. राजीव कुमार पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए घोटाले की दिशा और दशा बदली है. बताया जाता है कि एसआईटी के अध्यक्ष के तौर पर राजीव कुमार ने जम्मू-कश्मीर में शारदा प्रमुख सुदीप्त सेन और उनके सहयोगी देवयानी को गिरफ्तार किया था और उनके पास से मिली एक डायरी को गायब कर दिया था.


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इस डायरी में उन सभी नेताओं के नाम थे जिन्होंने चिटफंड कंपनी से रुपए लिए थे. इस मामले में कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने राजीव कुमार को आरोपित किया था. घोटाले की जांच के लिए सीबाआई राजीव कुमार से बात करने के लिए लंदन स्ट्रीट स्थित आधिकारिक आवास पर गई थी. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का दल जैसे ही राजीव कुमार के घर में जाने लगी तभी राज्य के पुलिसकर्मियों ने सीबीआई को अंदर जाने से रोक दिया.



इसके बाद पुलिस अधिकारियों और सीबीआई अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद हाथापाई होने लगी, जिसके बाद संघीय जांच एजेंसी के अधिकारियों को जबरदस्ती पुलिस थाने भी ले गई. इसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को पुलिस द्वारा सीबीआई के अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी पर निशाना साधा.


उन्होंने कहा कि बीजेपी का अच्छा वक्त अब खत्म हो चुका है. देश पीएम नरेंद्र मोदी से परेशान है. इसके बाद बनर्जी धरने पर बैठ गईं. वे पूरी रात कोलकाता के मेट्रो चैनल पर धरना दे रही हैं. आपको बता दें कि सीबीआई ने शनिवार को दावा किया था कि राजीव कुमार ‘‘फरार’’ चल रहे हैं और शारदा एवं रोज वैली चिटफंड घोटालों के सिलसिले में उनकी ‘‘तलाश’’ की जा रही है.


इस दावे के एक दिन बाद सीबीआई के करीब 40 अधिकारियों-कर्मियों की एक टीम आज शाम कुमार के आवास पर पहुंची थी, लेकिन उन्हें संतरियों एवं कर्मियों ने बाहर ही रोक दिया था. सीबीआई के अधिकारियों ने बताया था कि सीबीआई रोज वैली और सारदा चिटफंड घोटाले के मामलों के सिलसिले में कुमार से पूछताछ के मकसद से उन्हें तलाश रही है और अंतिम उपाय के तौर पर पुलिस आयुक्त को गिरफ्तार भी किया जा सकता है.



इसके बाद राजीव कुमार ने चुनावी तैयारियों की समीक्षा के लिए पिछले दिनों कोलकाता आए चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया था.


क्या है चिटफंड घोटाला
पश्चिम बंगाल का चर्चित चिटफंड घोटाला 2013 में सामने आया था. कथित तौर पर तीन हजार करोड के इस घोटाले का खुलासा अप्रैल 2013 में हुआ था. आरोप है कि शारदा ग्रुप की कंपनियों ने गलत तरीके से निवेशकों के पैसे जुटाए और उन्हें वापस नहीं किया. इसके बाद इस घोटाले को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार पर सवाल उठे थे. 


चिट फंड एक्ट-1982 के मुताबिक चिट फंड स्कीम का मतलब होता है कि कोई शख्स या लोगों का समूह एक साथ समझौता करे. इस समझौते में एक निश्चित रकम या कोई चीज एक तय वक्त पर किश्तों में जमा की जाए और तय वक्त पर उसकी नीलामी की जाए.जो फायदा हो बाकी लोगों में बांट दिया जाए. इसमें बोली लगाने वाले शख्स को पैसे लौटाने भी होते हैं.



नियम के मुताबिक ये स्कीम किसी संस्था या फिर व्यक्ति के जरिए आपसी संबंधियों या फिर दोस्तों के बीच चलाया जा सकता है लेकिन अब चिट फंड के स्थान पर सामूहिक सार्वजनिक जमा या सामूहिक निवेश योजनाएं चलाई जा रही हैं . इनका ढांचा इस तरह का होता है कि चिट फंड को सार्वजनिक जमा योजनाओं की तरह चलाया जाता है और कानून का इस्तेमाल घोटाला करने के लिए किया जाता है.